अखिलेश अखिल
राजस्थान चुनाव सामने है और कांग्रेस के दो बड़े नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। एक तरफ सीएम गहलोत की मण्डली है तो दूसरी तरफ पायलट की युवा सेना। दोनों की अपनी पकड़ है और अपनी राजनीतिक विसात भी। दोनों के अपने वोट बैंक हैं और दोनों नेता पार्टी के ख़ास भी हैं। किसी भी नेता को कांग्रेस त्यागने की हालत में नहीं है। और पायलट को तो और भी नहीं। पायलट न सिर्फ सोनिया गाँधी ,राहुल और प्रियंका के चहेते हैं बल्कि वे खड़गे के भी खास हैं और पार्टी के अन्य नेताओं के भी अजीज। उधर अशोक गहलोत के बारे में कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। राजस्थान में वे पार्टी के ऐसे चेहरा हैं जिन पर पार्टी आँख मूंद कर यकीन करती है।
लेकिन लम्बे समय से पायलट के बीच चल रही खींचतान अब पार्टी को भारी पड़ रहा है। सामने चुनाव है और पार्टी में दो दिग्गजों के बीच लड़ाई निश्चित तौर पर पार्टी को नुक्सान पहुंचाने के लिए काफी है। ऐसे में पार्टी ने अब इस मामले को ख़त्म करने का निर्णय लिया है। 31 मई को राहुल गाँधी भी दस दिनों की यात्रा पर अमेरिका जा रहे हैं चाहती है कि उनकी उपस्थिति में राजस्थान का मामला सुलट जाए।
उधर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार को 30 मई तक तीन मांगों को लेकर अल्टीमेटम दे रखा है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अंदरखाने मोर्चा खोले हुए हैं। इसी राजनीतिक पैंतरेबाजी को दुरुस्त करने के लिए अब 26 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राजस्थान के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक बुलाई है। इस बैठक में गहलोत भी रहेंगे और पायलट भी रहेंगे। इसमें सबसे पहले राजस्थान में चुनाव जीतने के लिए रणनीति पर चर्चा होगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक व सचिन पायलट विवाद को भी सुलझाने की कोशिश की जाएगी। सभी प्रमुख नेताओं को तरजीह देने के साथ एकजुट होकर चुनाव में जाने का मंत्र भी दिया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं की माने तो राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के पहले अब सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की जाएगी। प्रदेश में चुनाव के अब कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कलह से पार्टी को नुकसान पहुंचने का अंदेशा बना हुआ है। ऐसे में पार्टी कलह दूर कराने की आखिरी कोशिश में जुट गई है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा है कि सब कुछ ठीक हो जायेगा। पार्टी के भीतर कोई मनमुटाव नहीं है। सब मिलाकर काम करेंगे और जहाँ तक पायलट की बात है उनकी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार किया जाएगा। चुकी कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है पार्टी में रहकर अपनी बात कहने में कोई हर्ज नहीं। अब सब बैठकर जब बात होगी तो सभी समस्याएं ख़त्म हो जाएगी।
26 तारीख की प्रस्तावित बैठक से पहले राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंगलवार को कोषाध्यक्ष पवन बंसल, अंबिका सोनी से मुलाकात की। इसके बाद रंधावा ने पत्रकारों के सचिन पायलट के सवाल पर कहा कि मेरे लिए राजस्थान में सिर्फ अशोक गहलोत और सचिन पायलट ही लीडर नहीं है। वहां कई अन्य लीडर भी हैं, जिनसे बातचीत हो रही है। पायलट के 15 दिन के अल्टीमेटम के सवाल पर रंधावा ने कहा कि इसका जवाब मुख्यमंत्री दे सकते हैं। पायलट को बैठक में बुलाने के सवाल पर रंधावा ने कहा कि पायलट भी कांग्रेस के नेता हैं।