न्यूज़ डेस्क
रूस -यूक्रेन के बीच पिछले डेढ़ साल से चल रहे युद्ध में अब नया मोड़ आता दिख रहा है। जहां रूस के खिलाफ अमेरिका समेत नाटो देश एक साथ मिलकर यूक्रेन को मदद कर रहा है वही अब उत्तर कोरिया ने रूस के साथ खड़ा होने है। उत्तर कोरिया ऐसे समय में रूस के साथ खड़ा होने है ऐलान किया है जब उसे उसकी काफी जरूरत मसहूस हो रही है और अमेरिका को सबक सिखाने की जरूरत है। बता दें कि मौजूदा समय में अमेरिका को सबसे ज्यादा कोई देश चुनौती दे रहा है तो वह देश उत्तर कोरिया ही है और अमेरिका की हर नीति का विरोध करता है और उससे हर स्तर पर लड़ने को तैयार है। उत्तर कोरिया के पास भी परमाणु शक्ति है और और वह बार -बार कहता रहा है कि जरूरत पड़ेगी तो वह अमेरिका के खिलाफ इसका एस्तेमाल कर सकता है।
अब उत्तरा कोरिया का रूस की तरफ से खड़ा होने का ऐलान हो चूका है। उत्तर कोरिया की इस इंट्री के साथ ही यूक्रेन को भी भय सताने लगा है और अमेरिका भी सहम सा गया है। अमेरिकी समेत तमाम नाटो से जुड़े देश जहां यूक्रेन की हथियारों समेत हर तरह से मदद कर रहे हैं, वहीं रूस अब उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने की तैयारी है। इसके लिए चर्चा तेज है। ऐसे में यूक्रेन की टेंशन भी बढ़ गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच हथियार खरीद मुद्दे पर उत्तर कोरिया के तानाशाह राष्ट्रपति किम जोंग आने वाले कुछ दिनों में मॉस्को जाने वाले हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि दोनों नेता किसी बड़ी हथियारों की डील को करार कर सकते हैं। अमेरिका के एक अधिकारी का कहना है कि क्रेमलिन दरअसल, यूक्रेन में युद्ध के लिए उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग से हथियार हासिल करने की कोशिश में है। यहां पर बता दें कि उत्तर कोरिया दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शुमार अमेरिका को सबसे बड़ा दुश्मन मानता है।
इस बीच अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि फरवरी, 2022 में युद्ध की शुरुआत में बेशक मॉस्को भारी पड़ा हो, लेकिन अब यूक्रेन बराबरी पर आकर खड़ा है। ऐसे में रूस ने उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने की कोशिश की है। इसी कड़ी में राष्ट्रपति किम जोंग अपने समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से मिलने मॉस्को आने की योजना बना रहे हैं।
अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, यह बैठक कब और कहां होगी? इस बारे में दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बनी है, लेकिन बैठक तय मानी जा रही है। गौरतलब है कि फरवरी, 2022 से जारी युद्ध में दोनों देशों को काफी आर्थिक नुकसान हो चुका है। एक ओर जहां नाटो देश यूक्रेन के पीछे खड़ हो गए हैं तो दूसरी ओर रूस अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है। ऐसे में रूस ने उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने का फैसला लिया है।


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