बीरेंद्र कुमार झा
संविधान निर्माता ने संविधान में आरक्षण के मसले को सिर्फ 10 वर्ष के लिए शामिल किया था, लेकिन इसके संविधान में शामिल हों के सात दशक की समाप्ति के बावजूद राजनीतिक लिप्सा की वजह से यह आराक्षण न सिर्फ आज तक बरकरार है, बल्कि इसकी व्यापकता को और विस्तृत आयाम दे दिया गया।इतना ही नहीं देश को यह आगे भी समतामूलक बना पाएगा यह नहीं,इसका जबाव नहीं मिल पाने के बावजूद यह आगे कब तक ऐसे ही जारी रहेगा,यह भी अनिर्णित है।आरक्षण प्रतिभा और सामाजिक संतुलन का एक दूसरे पर पारस्परिक निर्भरता और प्रभाव अभी भी एक रहस्य बना हुआ है।ऐसे में राजनीतिक दल के नेताओं से लेकर गैर राजनीतिक संगठान के नेता इसे संविधान में बनाए रखने और हटाने को लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं।इसी संदर्भ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण से जु³ड़ा एक बयान सामने आया है।
समाज में मौजूद भेदभाव की समाप्ति तक रहे आरक्षण
आरक्षण को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा कि जब तक समझ में भेदभाव है तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए उन्होंने नागपुर के कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा था कि यह भेदभाव भले ही नजर नहीं आए ,लेकिन यह समान में अभी भी व्याप्त है।
संविधान प्रद्दत्त आरक्षण को संघ का पूर्ण समर्थन
मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था में हमने अपने बंधुओं को पीछे छोड़ दिया। हमने उनकी देखभाल नहीं की और यह सिलसिला 2000 वर्षों तक चला।अब जबतक हम उन्हें सामानता नहीं प्रदान कर देते हैं,तबतक कुछ विशेष उपचार तो होने ही चाहिए और आरक्षण उसमें से एक है।इसलिए आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव बना हुआ है। संविधान में प्रदत आरक्षण का हम संघ वाले पूरा समर्थन करते हैं।
आरक्षण वित्तीय और राजनीतिक ही नहीं बल्कि सामाजिक सम्मान भी दिलाता है
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा किया आरक्षण केवल वित्तीय राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नहीं बल्कि सम्मान देने के लिए भी है उन्होंने कहा कि भेदभाव झेलने वाले समाज के कुछ वर्गों ने 2000 वर्ष तक यदि परेशानियां उठाई है तो क्यों ना हम जिन्होंने भेदभाव नहीं झेली है और 200 वर्ष तक कुछ दिक्कत उठा लें।
अखंड भारत का सपना बनेगा एक हकीकत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अखंड भारत को लेकर भी अपनी राय रखी!उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी के बुजुर्ग होने से पहले ही अखंड भारत एक हकीकत बन जाएगा।उन्होंने एक विद्यार्थी के प्रश्न का उत्तर देते हुए उक्त बातें कहीं उन्होंने कहा कि वह सटीक समय नहीं बता सकते की अखंड भारत कब अस्तित्व में आएगा, लेकिन यदि आप इस दिशा में काम करते रहेंगे तो आप बुजुर्ग होने से पहले ही इसे साकार होते हुए देखेंगे ,क्योंकि स्थितियां ऐसी बन रही है।जो लोग भारत से अलग हुए हैं वह महसूस करते हैं कि उन्होंने गलती की थी। वे महसूस करते हैं कि हमें एक बार फिर भारत का हिस्सा बन जाना चाहिए।वे सोचते हैं कि भारत का हिस्सा बनने के लिए उन्हें मानचित्र पर खींची गई रेखा मिटाने की जरूरत है।
नागपुर के संघ कार्यालय पर तिरंगा झंडा ना फहराने का आरोप
जब मोहन भागवत से इस दावे के बारे में पूछा गया कि आरएसएस ने 1950 से 2002 तक नागपुर के महल इलाके में अपने मुख्यालय में राष्ट्रपति नहीं फहराया तो मोहन भागवत ने कहा कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम जहां भी होते हैं राष्ट्रपति फहराते हैं नागपुर में महल और रश्मि बाग हमारे दोनों ही परिसरों में ध्वजारोहण होता है हम लोगों को लोगों को हमसे या प्रश्न नहीं करना चाहिए इसके बाद उन्होंने एक घटना की याद कर करते हुए कहा कि 1933 में जलगांव के पास कांग्रेस के तेजपुर सम्मेलन के दौरान जब पंडित जवाहरलाल नेहरू 80 फुट मुझे कर रहे थे तब झंडा बीच में फंस गया था उसे दौरान करीब 10000 की भीड़ में से एक युवक आगे आया और खंभे पर चढ़कर उसमें उसने झंडे को निकला या युवा यही वक्त किशन सिंह राजपूत था जो रस का सदस्य था और नियमित शाखा दया करता था।