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महागठबंधन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है पूर्णियां के रंगभूमि मैदान में होनेवाली रैली

Published on

  • बीरेंद्र कुमार झा

बिहार की जेडीयू, आरजेडी,कांग्रेस और अन्य दलों का महागठबंधन 25 फरवरी को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में एक बड़ी रैली का आयोजन करने जा रहा है।पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में महागठबंधन की होने वाली इस रैली को लेकर कहा जा रहा है कि इस रैली के द्वारा महागठबंधन मिशन 2024 यानी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी का शंखनाद करने जा रहा है। मिशन 2024 को लेकर अपना दमखम दिखाने के लिए महागठबंधन द्वारा पूर्णिया के रंगभूमि मैदान का चुनाव करने के पीछे कई सारी वजहैं है, जिससे महागठबंधन को भविष्य की एक बड़ी उम्मीद दिखती है।यही कारण है कि महागठबंधन का हर घटक दल पूर्णिया की रैली में भारी भीड़ जमा करने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए है।

सीमांचल का समीकरण

बिहार में सीमांचल को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। यहां मुस्लिम और यादव वोटरों की बड़ी तादाद होने से आरजेडी को इस क्षेत्र से हमेशा एक बड़ी उम्मीद बनी रहती है।कांग्रेस और जेडीयू के लिए भी यह क्षेत्र काफी उपयोगी रहा है। लेकिन पिछले कुछ चुनाव परिणाम को देखा जाए तो यहां आरजेडी की परेशानी बढ़ी है। पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी के वोटरों के खिसकने से ही ओवैसी की पार्टी AIMIM को यहां बड़ी सफलता मिली थी। वहीं लोकसभा चुनाव में एनडीए यहां मजबूत रही थी। पिछले लोक सभा चुनाव में यहां की 4 सीटों पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार में से 3 सीटों पर एनडीए चुनाव जीती थी, जबकि केवल एक सीट पर ही महागठबंधन का कब्जा हुआ था।हालांकि तब जेडीयू एनडीए का हिस्सा था।

सीमांचल में ही एक सीट पर एनडीए की हुई थी हार

2019 ईस्वी में बिहार में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यहां की कुल 40 सीटों में से 39 सीट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन सीमांचल के इस क्षेत्र ने नरेंद्र मोदी सरकार को बिहार में क्लीन स्वीप करने से रोक दिया था।तब प्रचंड मोदी लहर में यहां की सभी सीटों को एनडीए ने अपनी झोली में भर लिया था, लेकिन सीमांचल का किशनगढ़ सीट ही एकमात्र सीट था जो कांग्रेस की झोली में चला गया था।यहां कांग्रेस ने जेडीयू के उम्मीदवार को हराया था।वहीं सीमांचल के अररिया में बीजेपी ने तो पूर्णिया और कटिहार में जेडीयू ने चुनाव जीता था।

महागठबंधन का प्रयास

एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार सीमांचल में मुस्लिमों की आबादी अधिक है। यहां किशनगंज में 68% ,कटिहार में 45% तो अररिया और पूर्णिया में करीब 35% अल्पसंख्यक आबादी है। महागठबंधन के सभी प्रमुख घटक दल आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस इसे अपना आधार वोट मानती है। इसके अलावा यहां यादवों की भी बड़ी संख्या है जो इस महागठबंधन के प्रमुख घटक दल आरजेडी का बड़ा वोट बैंक है।यही कारण है कि मिशन 2024 के लिए महागठबंधन ने सीमांचल के क्षेत्र पूर्णिया को रैली के लिए चुना। इस रैली से महागतबंधन के सभी घटक दल अपने इस आधार वोट बैंकों को भरोसे में लेकर आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सफलता हासिल करने की योजना बनाएंगे। वैसे तो पूर्णियां की रंगभूमि मैदान में होने वाली यह रैली महागठबंधन की संयुक्त रैली है, लेकिन एक सच यह भी है कि इसके पीछे महागठबंधन के सभी प्रमुख घटक दल यहां अपनी खोई हुई पुरानी जमीन को भी ढूंढ रहा है, ताकि 2024 ईस्वी में होने वाले लोक सभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के अंदर सीटों के बंटवारे में ज्यादातर हिस्सेदारी अपनी पार्टी के पक्ष में कर सकें।

 

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