न्यूज़ डेस्क
जब सामान्य जनता बेहतर इलाज के लिए दर दर भटकती हो तो फिर जेल में बंद कैदियों की सुध भला कौन लें ? उसे मानव आखिर मानता ही कौन है ? जो जेल गया ,वह समाज के कट गया। कहने को तो जेल में बंद कैदियों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं सरकार मुहैया कराती है। लेकिन क्या वे सुविधाएं कैदियों को मिलती है ? इसका जवाब भी कौन दे ? अभी यूपी के जेलों में बंद कैदियों के बारे में एक जानकारी सामने आयी है।
खबर के मुताबिक जेलों में बंद बड़ी संख्या में कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं जबकि टीबी ,सिफलिस और पीलिया से ग्रसित कैदी भी पाए गए हैं। इन कैदियों की संख्या काफी बताई जा रही है। इसकी जानकारी यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने एक कार्यक्रम के दौरान दी है। उन्होंने बताया कि साल 2022-23 में करीब 3.12 लाख कैदियों में से 2.76 लाख कैदियों की स्क्रीनिंग और जांच की गई थी, जिसमें 1104 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। उन सभी को एआरटी सेंटर से लिंक किया गया है। वहीं डीजी जेल एसएन साबत ने कहा कि कैदियों को बीमारियों से सुरक्षित बनाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।
दरअसल प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस बी-सी और सिफलिस से सुरक्षित बनाने को लेकर सोमवार को प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जिसका शुभारंभ महानिदेशक कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग एसएन साबत ने किया। इस कार्यक्रम में डीजी जेल एसएन साबत ने बताया कि कैदियों को बीमारियों से सुरक्षित बनाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।
इसी के तहत हर कैदी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच की जाती है। स्क्रीनिंग और जांच के लिए संसाधनों को भी बेहतर बनाया जा रहा है। वहीं एसएन साबत ने स्वास्थ्य विभाग और यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मुहिम रंग लाएगी और कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी।
यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि करीब 2.72 लाख कैदियों की टीबी की स्क्रीनिंग की गई थी, जिसमें से 9012 कैदियों की टीबी की जांच हुई। इनमें 279 कैदियों में टीबी की पुष्टि हुई है इन सभी टीबी मरीजों को डॉट सेंटर से जोड़ा गया है। वहीं 2988 कैदियों की हेपेटाइटिस-सी की जांच की गई, जिसमें से 125 पॉजिटिव पाए गए। इन सभी का समुचित इलाज किया गया।