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मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि के पश्चात स्मारक की मांग से शुरू हुई राजनीत

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की मृत्यु को लेकर 27 तारीख को उनके आवास पर श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में देश के राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष जैसे लोग जो पद धारण करने के बाद एक तरह से किसी भी दल के नहीं रह जाते हैं, के अलावे प्रधानमंत्री,गृह मंत्री जैसे पदधारी बीजेपी नेता के साथ-साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मनमोहन सिंह के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे थे। इस समय वहां मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी जैसे कांग्रेस के बड़े नेता भी मौजूद होकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दे रहे थे।इसे देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो संसद में इन दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच होने वाले घमासान की वजह से कदाचित संसद भविष्य में अवरोधित होने से बच जाएंगे। लेकिन इसके बाद ही मनमोहन सिंह के शव को लेकर राजनीति शुरू हो गई। इस क्रम में शव दहन स्थल और स्मारक निर्माण के नाम से राजनीति शुरू हुई ,फिर बाद में पहले से चल रहे इस राजनीतिक घमासान में पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कांग्रेसी खेमा से राष्ट्रपति बने प्रणव मुखर्जी तक के शवों को घसीटा जाने लगा, ताकि भविष्य के चुनाव में मनमोहन सिंह के शवों के सहारे ही क्यों न हो, ये राजनेता जनता को भरमाकर खुद के लिए और अपनी पार्टी के लिए जनता का वोट प्राप्त कर सके।खासकर तब जबकि फरवरी में दिल्ली विधानसभा का चुनाव होना है, जहां जहां सिक्खों और मनमोहन समर्थकों की अच्छी खासी जनसंख्या है, वहां मनमोहन सिंह की मौत पर राजनीति का नहीं होना ,खुद ही अपने आप में एक बड़ा आश्चर्य था,जो अब जोर पकड़ने लगा है।आइए एक नजर डालते हैं जनता को भरमाकर शवों के सहारे राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं की कारगुजारियों पर।

मनमोहन सिंह के शव के साथ राजनीति की शुरुआत सबसे पहले आम आदमी पार्टी की तरफ से की गई थी। इस पार्टी ने तो मनमोहन सिंह के शवों के साथ राजनीति करने में एक दिन का भी इंतजार करना मुनासिब नहीं समझा और डॉक्टर मनमोहन सिंह के रिश्ते के भाई के द्वारा भारत रत्न की मांग को हाइजैक करते हुए इसके लिए आवाज तेज कर दी। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारत रत्न देने पर केंद्र सरकार को विचार करने जैसा विचार भी दे डाला।

फिर इसके बाद कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी कहां चुप बैठने वाली थी।इस दोनों पार्टियों ने भी मनमोहन सिंह के शवों के सहारे राजनीति करनी प्रारंभ कर दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मनमोहन सिंह का शव दाह राजघाट में संपन्न करने के साथ-साथ वही उनके स्मारक बनाए जाने की मांग भी केंद्र सरकार से कर दी। इसपर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी की सरकार ने मनमोहन सिंह का शवदाह
के लिए निगमबोध का चुनाव करते हुए उनके स्मारक बनाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना कर आगे इसपर क्रियान्वयन करने की बात कह दी। बात इतनी भर ही हुई होती तो कोई बात नहीं होती। यहां तो कुछ और पूर्व प्रधानमंत्री के शवों को तलाश कर राजनीतिक चालें चली जाने लगी।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा कांग्रेस को लिखित रूप में डॉक्टर मनमोहन सिंह के शवदाह निगमबोध घाट में करने और उनके लिए स्मारक बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए एक ट्रस्ट के निर्माण की सूचना दी तो कांग्रेस ने बड़े ही घिनौने ढंग से इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के शव को घसीट लाया।

कांग्रेस के पंजाब के पूर्व अध्यक्ष रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने तो यहां तक नफरत वाली बात कर दी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के शव को राजघाट में शवदाह की क्रिया नहीं करने दिया जाता, तो बीजेपी को कैसा लगता। इस पर बीजेपी की तरफ से भी वैसा ही जवाब आया। बीजेपी ने इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव के शव को घसीट लिया।बीजेपी ने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेई की चिंता को छोड़कर कांग्रेस को अपने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के शव को देखना चाहिए कि उसने पीवी नरसिम्हा राव के शव के साथ कैसा बर्ताव किया था।कांग्रेस ने तो अपनी ही पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शव को पार्टी प्रदेश कार्यालय में लोगों की अंतिम दर्शन तक के लिए रहने नहीं दिया था और उनका शव पार्टी कार्यालय के द्वार पर शव वाहन पर ही पड़ा रहा।इतना ही नहीं दिल्ली में उनके स्मारक बनाने की बात कह कर पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के परिवार को इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वे पीवी नरसिम्हा राव के शव को दिल्ली के किसी घाट में जलाने की जगह हैदराबाद ले जाकर अंतिम क्रिया करें। लेकिन उसके बाद 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने उनका स्मारक नहीं बनाया। हालांकि बाद में बीजेपी ने कांग्रेस द्वारा तिरस्कृत किया जा रहे अपनी ही पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न की उपाधि देकर सम्मानित किया।

लाशों की इस प्रकार से हो रही राजनीति को देख पूर्व कांग्रेसी वित्तमंत्री और कांग्रेस खेमे से पूर्व राष्ट्रपति रहे दिवंगत प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी, जो कभी कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर दिल्ली से चुनाव लड़ी थी और अब सक्रिय राजनीति से दूर है ,उसने भी कांग्रेस को इस मामले में आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेस इस समय मनमोहन सिंह की लाश पर राजनीति कर रही है,वरना उसने तो अपनी पार्टी के नेता और राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी जो मेरे पिता थे,उनके निधन पर सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाकर शोक सभा तक का आयोजन नहीं किया था,स्मारक बनाना तो दूर की बात थी ।

इस बीच आज निगम बोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का शव पांच तत्व में विलीन हो गया।ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या अब भी इन महापुरुषों की शवों पर राजनीति बंद होगी या कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल आगे भी पैंतरे बदल – बदल कर उनकी लाशों पर राजनीति करते रहेंगे।

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