न्यूज़ डेस्क
कर्पूरी ठाकुर को लेकर बिहार में जंग जारी है। कर्पूरी ठाकुर केवल बिहार के मुख्यमंत्री ही नहीं थे वे पिछड़ों के बड़े नेता थे समाजवादी आंदोलन के प्रमुख चेहरा भी। ठाकुर को सब मानते हैं। राजद भी ठाकुर की राजनीति को आगे बढ़ाती है तो नीतीश कुमार तो खुद उनके चेले कहे जाते हैं। जदयू हर साल कर्पूरी ठाकुर की जयंती को धूमधाम से मनाती रही है। लेकिन इस बार बीजेपी का भी दाव लगा हुआ है। पिछड़ों और अति पिछड़ों की राजनीति में बीजेपी भी पनि जगह तलाश रही है। कर्पूरी ठाकुर नाई समाज से आते थे और बिहार की राजनीति में उनकी महती भूमिका रही है।
बीजेपी नीत केन्द्र सरकार ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बिहार में अपने समय के दिग्गज नेता रहे और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश का सबसे सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की ।राष्ट्रपति भवन ने देर शाम एक वक्तव्य जारी कर कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने श्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान किया है।
ठाकुर को उनकी 100 वीं जयंती से एक दिन पहले यह सम्मान देने की सरकार की घोषणा को लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र सरकार के महत्वपूर्ण तथा दूरगामी कदम के रूप में देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जनता दूल यू ने श्री ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की मांग की थी और मोदी सरकार ने इस मांग को पूरा कर बड़ा दाव खेला है।स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और जाने माने राजनीतिज्ञ ठाकुर का जन्म 24 जनवरी को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है में हुआ था।
उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक भी कहा जाता था।भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने २६ महीने जेल में बिताए थे। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे।ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की घोषणा को पिछड़े वर्ग के उत्थान में उनके जीवनभर के योगदान और सामाजिक न्याय की दिशा में उनके प्रयासों को श्रद्धांजलि के रूप में देखा जा रहा है।