न्यूज़ डेस्क
बड़े ही शोर शराबे के साथ मोदी सरकार ने 9 साल पहले देश के भीतर स्मार्ट सिटी का कायाकल्प करने की योजना बनाई थी। इसका खूब प्रचार भी किया गया मानो देश आर्थिक प्रगति की राह पर दौर उठेगा ,देश के चिन्हित स्मार्ट सिटी चमक जाएंगे लेकिन सच यही है कि ९ साल बाद भी यह योजना अधूरी है।
जानकारी के मुताबिक़ इस योजना का 93 फीसदी काम पुरे होने की बात कही जा रही है लेकिन सच्चाई इसके उलट है। अगर काम की इस प्रगति को भी सच मान लिया जाए तो शेष बचे कामो को पूरा करने के लिए एक साल की अवधी और बढ़ाई गई है। केंद्र सरकार ने शहरी विकास में नया प्रयोग करते हुए जून 2015 में स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च किया था।
बता दें कि इस योजना के तहत शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा कर 100 शहरों का चयन किया गया। इन 100 शहरों में करीब 1.6 लाख करोड़ रुपए की लागत से 8,000 से अधिक बहु-क्षेत्रीय परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।
3 जुलाई तक 100 शहरों ने मिशन के हिस्से के रूप में 1 लाख 44 हजार 237 करोड़ रुपए की 7,188 परियोजनाएं पूरी कर ली है। यह कुल प्रोजेक्ट का करीब 90 फीसदी है। जबकि 19 हजार 926 करोड़ रुपए की शेष 830 परियोजनाएं भी अंतिम चरण में हैं।
मिशन के पास 100 शहरों के लिए 48 हजार करोड़ रुपए का आवंटित बजट है। इनमें से 46,585 करोड़ रुपए 100 शहरों को आवंटित किया जा चुका है।
सबसे बड़ी बात यह है कि मिशन ने 100 में से 74 शहरों को मिशन के तहत भारत सरकार ने पूरी वित्तीय सहायता भी जारी कर दी है। मिशन के तहत कार्य पूरे करने के लिए राज्य और शहरी सरकार के प्रतिनिधियों ने और मोहलत मांगी थी।