अमेरिका से टैरिफ वॉर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन और जापान की यात्रा पर जाएंगे। वह शंघाई सहयोग समिति SCO समिट में भाग लेने के लिए 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन में होंगे। इससे पहले, 30 अगस्त को वह जापान जा सकते हैं। वहां भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। 2018 के बाद यह उनका पहला चीन दौरा होगा। कुल मिलाकर, यह उनका पांचवां चीन दौरा होगा। इससे पता चलता है कि भारत और चीन के संबंध कितने महत्वपूर्ण हैं। जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते बहुत खराब हो गए थे।
भारत, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन जैसे पश्चिमी देशों को सीधा जवाब दे रहा है। साथ ही, वह अमेरिका के विरोधी देशों, चीन और रूस के साथ अपनी दोस्ती बढ़ा रहा है। इसका मतलब है कि भारत अब किसी एक खेमे में बंधा हुआ नहीं है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रैप के टैरिफ वॉर के बीच पीएम मोदी का चीन और जापान दौरान काफी अहम है।
SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक हो सकती है। दोनों नेता आखिरी बार कजान में BRICS शिखर सम्मेलन में मिले थे। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू की थी। मोदी शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य SCO नेताओं से भी मिल सकते हैं, जिसमें रूसी राष्ट्रपति भी शामिल हैं। कजान BRICS शिखर सम्मेलन के बाद यह उनकी पहली मुलाकात होगी।
PM की प्रस्तावित चीन यात्रा से पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने दुर्लभ पृथ्वी चुंबक आपूर्ति और भारत को उर्वरकों पर प्रतिबंधों के चलते व्यापार में रुकावटों और आर्थिक सहयोग के मुद्दों को उठाया।