प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत काल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है, विकसित भारत, नया भारत।पीएम मोदी ने कहा कि नया भारत यानि सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत।न्यायपालिका हमारी इस विज़न का एक मजबूत स्तम्भ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।इस समारोह का आयोजन सर्वोच्च न्यायालय ने किया ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्के का अनावरण भी किया।इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष, संविधान, संवैधानिक मूल्यों और अधिक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में उभरते भारत की यात्रा हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष केवल एक संस्था की यात्रा नहीं की है ।यह यात्रा है भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की। भारत के लोगों ने कभी सुप्रीम कोर्ट, हमारी न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के यह 75 वर्ष की यात्रा मदर ऑफ डेमोक्रेसी भारत के गौरव को और अधिक बढ़ाती है।देश संविधान की 75 वर्षगांठ मनाने जा रहा है, इसलिए इस अवसर में भी गर्व और प्रेरणा भी है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने आपातकाल के काले दिनों में मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय एकता को बरकरार रखा। आजादी के अमृत काल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है, विकसित भारत और नया भारत का सपना।
नया भारत यानि सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत। हमारी न्यायपालिका इस विज़न का एक मजबूत स्तम्भ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमारे लोकतंत्र में न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक माना गया है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि हमारी सुप्रीम कोर्ट, हमारी न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन प्रयास किया है।आजादी के बाद न्यायपालिका ने न्याय की भावना की रक्षा की।जब-जब देश की सुरक्षा का प्रश्न आया तब तब न्यायपालिका ने राष्ट्र हित सर्वोपरि रखकर भारत की एकता की रक्षा की।
इस अवसर पर सीजेआई के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता की आरजी कर अस्पताल में हुई बलात्कार और हत्या मामले का नाम लिए बगैर कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध गंभीर चिंता का विषय है।खासकर इस दिशा में न्याय प्रक्रिया में तेजी लाना जरूरी है।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्व मोटो संज्ञान भी लिया है और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को इसके लिए आड़े हाथ लिया है।