बीरेंद्र कुमार झा
असम सरकार के किसी भी कर्मचारी को दूसरी शादी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, भले ही उनके धर्म में इसकी इजाजत क्यों न हो। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दूसरी शादी के लिए व्यक्ति को सरकार से अनुमति लेनी होगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें ऐसे मामले मिलते हैं, जहां मुस्लिम पुरुष दो महिलाओं से शादी करते हैं और बाद में दोनों पत्नियों एक ही व्यक्ति की पेंशन के लिए लड़ती हैं। यह कानून पहले से ही था, अब हमने इसे लागू करने का फैसला किया है। सर्कुलर में कहा गया है कि असम सरकार की कोई भी महिला सरकारी कर्मचारी सरकार की अनुमति के बिना किसी ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करेगी, जिसकी पत्नी जीवित है।
बाल विवाह पर रोक के बाद असम सरकार का बहुविवाह पर प्रहार
असम सरकार ने हाल ही में बालविवाह पर कड़ी कार्रवाई करते हुए हजारों लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा बहुविवाह पर भी प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून लाने का फैसला किया है। अब दूसरी शादी को लेकर 58 साल पुराना कानून लागू करने का फैसला किया है।असम सरकार ने अपने कर्मचारियों को अपने जीवन साथी के जीवित रहने पर किसी अन्य से शादी करने से रोक दिया है, और दूसरा विवाह करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। कार्मिक विभाग के कार्यालय पत्र में कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि यदि पत्नी या पति जीवित है तो किसी अन्य से शादी करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसमें तलाक के मानदंड के बारे में उल्लेख नहीं किया गया है। सरकार ने सर्कुलर में अपने चार लाख कर्मचारियों को 58 साल पहले स्थापित एक सेवा नियम की याद दिलाई है।
कार्मिक अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा ने जारी की थी अधिसूचना
अधिसूचना कार्मिक अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा ने 20 अक्टूबर को जारी की थी, लेकिन बृहस्पतिवार को इसका पता चला। इसमें कहा गया है की दिशा⁴निर्देश असम सिविल सेवा आचरण नियमावली 1965 के नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार जारी किए गए हैं कि उपरोक्त प्रावधानों के संदर्भ में अनुशासनात्मक प्राधिकारी अनिवार्य सेवानिवृत्ति सहित जुर्माना लगाने के लिए तत्काल विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकते हैं। आदेश में इस तरह की प्रथा को एक सरकारी कर्मचारी की तरफ से घोर कदाचार करार दिया गया,जिसका समाज पर बड़ा असर पड़ता है। कार्यालय पत्र में अधिकारियों के ऐसे मामले सामने आने पर आवश्यक कानूनी कदम उठाने के लिए कहा गया है।
जीवनसाथी के जीवित रहते नही कर सकते दूसरी शादी
पत्र में कहा गया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी जिसकी पत्नी जीवित है, सरकार की अनुमति के बिना दूसरी शादी नहीं करेगा, भले ही उस पर लागू होने वाले पर्सनल लॉ के तहत उसे दूसरी शादी की अनुमति हो। इसी तरह कोई भी महिला सरकारी कर्मचारी ,जिसका पति जीवित है ,सरकार की अनुमति के बिना दूसरी शादी नहीं करेगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।मुसलमान का उल्लेख किए बिना परिपत्र में कहा गया है कि यह नियम उन पुरुषों पर भी लागू होता है जिन्हें पर्सनल लॉ द्वारा दूसरी विवाह की अनुमति है ।सर्कुलर में कहा गया है कि नियम का उल्लंघन करने पर सख्त जुर्माना लगाया जाएगा। इसमें कानूनी कार्यवाही के साथ-साथ अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी शामिल है। बीजेपी के कुछ नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने फरवरी से लगातार बाल विवाह पर रोक लगाई है और राज्य भर में हजारों लोगों की गिरफ्तारियां हुई है।पुलिस ने कम उम्र की लड़कियों से शादी करने के मामले में एक ताजा अभियान चलाया, जिसमें 1039 लोगों को गिरफ्तार किया।प्रस्तावित बहु विवाह कानून की रूपरेखा तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। कानूनी बारिकियों पर गौर करने के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति ने पहले ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है,जिसमें कहा। गया है कि इसे असम के राज्यपाल की जगह केवल राष्ट्रपति के सहमति प्राप्त करने की जरूरत है।