विकास कुमार
22 जनवरी को अयोध्या में भव्य कार्यक्रम में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इंडिया गठबंधन से जुड़ी पार्टियों के नेताओं को भी इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला है,लेकिन एक एक करके विपक्षी दल इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर रहे हैं। हालांकि पहले विपक्षी दल राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण नहीं मिलने की बात कहते थे,लेकिन जब उन्हें राम मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला तो अब वे इसमें शामिल होने से इनकार कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले ही अयोध्या जाने से इनकार कर दिया था। अखिलेश यादव ने कहा था कि प्रभु श्री राम बुलाएंगे तो बीजेपी भी नहीं रोक पाएगी। वहीं, मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद ने साफ किया कि अखिलेश यादव को न्योता भेजा गया है। इसके बाद अखिलेश यादव ने कहा कि जिसे हम जानते नहीं, उससे निमंत्रण नहीं स्वीकार करते हैं। अखिलेश के बाद अब कांग्रेस के बड़े नेताओं ने राम मंदिर का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया।
कांग्रेस की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को राम मंदिर का निमंत्रण मिला था। कांग्रेस ने कहा कि ससम्मान से निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया गया है। कांग्रेस ने इसे बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बताया। साथ ही कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी मंदिर का उद्घाटन सिर्फ चुनावी लाभ लेने के लिए कर रही है।
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आचार्य प्रमोद कृष्णम जैसे नेता खुशी खुशी शामिल हो रहे हैं,लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस को इस फैसले का नुकसान झेलना पड़ेगा,क्योंकि इससे उनकी छवि हिंदू विरोधी पार्टी की बनी रहेगी और ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में सीधा सियासी फायदा बीजेपी को होगा।