बीरेंद्र कुमार झा
नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भारत ने दुनिया के सामने ऐसी कूटनीतिक ताकत और मेहमाननवाजी दिखाई कि अब पड़ोसी देश चीन भी भारत का मुरीद हो गया है। चीन ने सोमवार को एक बयान में कहा कि जी 20 में भारत की घोषणा पत्र ने एक सकारात्मक संदेश भेजा है।चीन का कहना है कि प्रभावशाली देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने और आर्थिक सुधार के लिए हाथ मिला रहे हैं।भारत में शनिवार को शिखर सम्मेलन के पहले दिन बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की, जब इसकी अध्यक्षता में आयोजित की-20 शिखर सम्मेलन में रूस यूक्रेन युद्ध मुद्दों पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए एक सर्वसम्मत घोषणा को अपनाया गया। भारत की घोषणा पत्र की रूस पहले ही तारीफ कर चुका है। यह बात अलग है कि शिखर सम्मेलन के लिए शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन दोनों ने भारत आने से इंकार किया था।
वैश्विक विश्वास की कमी को दूर करने की की थी अपील
G20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने वैश्विक विश्वास की कमी को समाप्त करने का आह्वान किया था। रूस के बाद चीन ने भी दिल्ली शिखर सम्मेलन में भारत की घोषणा पत्र की तारीफ की है।हालांकि यहां भी वह अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने से नहीं चुका। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओनिंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन द्वारा जारी घोषणा पत्र से पता चलता है कि चीन का प्रस्ताव एक अच्छा संकेत है। उनसे सवाल पूछा गया था कि बीजिंग रविवार को संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन के नतीजे को कैसे देखा है? गौरतलब है कि चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्थान पर शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
दुनिया को आर्थिक सुधार का सकारात्मक संकेत
चीन के विदेश मामलों में प्रवक्ता माओ ने कहा कि घोषणा पत्र यह भी संकेत देता है कि जी-20 देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिला रहे हैं और दुनिया को आर्थिक सुधार का सकारात्मक संकेत भेज रहे हैं।उन्होंने कहा की तैयारी प्रक्रिया के दौरान चीन ने भी रचनात्मक भूमिका निभाई और विकासशील देशों की चिताओं को महत्व दिया साथ ही इसने वैश्विक आम विकास के लिए अनुकूल परिणाम का मार्ग समर्थन किया।
अपने मुंह मियां मिट्ठू
माओ ने कहा कि चीन ने कहा की चीन ने हमेशा जी – 20 समूह को महत्व दिया है और उसके काम का समर्थन किया है।प्रवक्ता ने कहा कि हम विश्व अर्थव्यवस्था और विभिन्न विकास क्षेत्र में जोखिमों से निपटने में G20 की एकता और सहयोग का समर्थन करते हैं।lउन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री लि ने अपनी उपस्थिति के दौरान G 20 में सहयोग कर चीन की स्थिति और प्रस्तावों को पूरी तरह से दोहराया। माओ ने कहा कि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी देश को एकजुटता , और सहयोग की मुलाकांक्षा का पालन करने और समय की जिम्मेदारी उठाने और वैश्विक आर्थिक सुधार,खुलेपन, सहयोग और सतत विकास के लिए अनुकूल साझेदारी को बढ़ावा देने की जरूरत है।
गौरतलब है कि जी – 20 की सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%,वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व जनसंख्या दो तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं ।इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस ,जर्मनी ,भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान ,कोरिया गणराज्य मेक्सिको,रूस,सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके,अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल है।