विकास कुमार
राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन लगातार जाति गणना की मांग कर रहे थे। राहुल गांधी बार बार ओबीसी और दलित आदिवासी समाज की भागीदारी की मांग करते रहे हैं। वहीं मोदी और शाह की जोड़ी ने राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन की इस मांग की काट खोज निकाली है। छत्तीसगढ़ में मोदी सरकार ने आदिवासी समाज से आने वाले विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया है,तो मध्यप्रदेश में भी मोहन यादव के तौर पर बीजेपी ने चौथा ओबीसी मुख्यमंत्री बनाया है। मध्यप्रदेश में ‘मोहन’ और छत्तीसगढ़ में ‘विष्णु’ राज से बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग की गहराई का अनुमान लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री पद के लायक उम्मीदवार खोजने में बीजेपी आलाकमान को एक हफ्ते तक चिंतन मनन करना पड़ा है। बीजेपी ने दोनों ही राज्यों में कई सीनियर नेताओं को दरकिनार करके उन्हें कमान सौंपी है।
शिवराज सिंह चौहान के उत्तराधिकारी के तौर पर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी आलाकमान ने चौंकाने वाले फैसला लिया है क्योंकि मोहन यादव का नाम मुख्यमंत्री की रेस में कहीं भी नहीं था। कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ में हुआ था,जहां पार्टी ने 8 दिनों के मंथन के बाद विष्णु देव साय को प्रदेश का मुखिया चुना। हालांकि साय का नाम रेस में था लेकिन उन्हें भी कई सीनियर नेताओं को दरकिनार करके ये अहम जिम्मेदारी मिली है। ऐसे में ये जानना दिलचस्प होगा कि आखिर बीजेपी ने दोनों पड़ोसी राज्यों में नए नामों पर दांव क्यों खेला। पहले बात मध्यप्रदेश की करते हैं। बीजेपी ने यहां ओबीसी सियासत को नई धार दी है। मोहन यादव को मुख्यमंत्री की कमान सौंपने के पीछे कई वजहें हैं,लेकिन सबसे पहली वजह उनका ओबीसी समुदाय से आना है। मध्यप्रदेश में ओबीसी आबादी लगभग 55 फीसदी है। मध्य प्रदेश में लगभग 77 सीटों पर ओबीसी समुदाय का असर है।
मोहन यादव को मध्य प्रदेश की बागडोर सौंपने से उत्तर प्रदेश और बिहार में बीजेपी को फायदा हो सकता है क्योंकि यूपी-बिहार में ओबीसी समुदाय सबसे बड़ी संख्या में हैं। इसके अलावा लोकसभा की सबसे अधिक सीटों वाले इन दो राज्यों में यादव वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। मोहन यादव को मध्यप्रदेश का सीएम बनाने से अगर यादव वोटों का कुछ परसेंट भी पार्टी अपनी ओर लाने में सफल होती है तो यह बीजेपी के बहुत बड़ी ताकत साबित होगी।
वहीं विष्णु देव साय के चेहरे पर बीजेपी देश भर के आदिवासी वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रही है। विष्णु देव साय को सीएम बनाकर बीजेपी ने मध्यप्रदेश,झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और तेलंगाना की सियासत पर भी निशाना साधा है। बता दें कि मध्यप्रदेश में आदिवासियों के लिए 6 सीटें, ओडिशा-झारखंड में 5-5 सीटें, महाराष्ट्र में 4 सीटें और तेलंगाना में 2 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। पार्टी को लगता है कि इस फैसले का असर 2024 के आम चुनाव पर भी पड़ेगा।
मोदी शाह हमेशा अपने फैसले से चौंकाते हैं,इसलिए ये देखना अहम होगा कि इन फैसलों से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में कितना फायदा होगा।