Homeदेशक्या अब कर्नाटक सरकार भी जारी करेगी जातिगत गणना की रिपोर्ट ?

क्या अब कर्नाटक सरकार भी जारी करेगी जातिगत गणना की रिपोर्ट ?

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न्यूज़ डेस्क 

बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजानिक होने के बाद अब कर्नाटक सरकार पर भी जातिगत गणना की रिपोर्ट को सार्जनिक करने का दवाब बढ़ता जा रहा है। जिस तरह से राहुल गाँधी देश भर में जातिगत गणना कराये जाने की मांग कर रहे हैं उससे अब इस बात की सम्भावना ज्यादा बढ़ गई कि कर्नाटक  की सरकार ने आज से साथ साल पहले जो जातिगत जनगणना कराई थी लेकिन उसकी रिपोर्ट पर रोक लग गई थी ,अब उसे सार्वजानिक करने की बात हो रही है। अगर यह रिपोर्ट सामने आती है तो बिहार के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य होगा जहाँ जातिगत गणना से जुड़े डाटा सामने आएंगे।  
   बता दें कि बिहार से जातिगत आंकड़े सामने आने के बाद कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने ही सात साल पुरानी जातिगत जनगणना के नतीजों को सार्वजानिक करने की मांग की है। बता दें कि 2015 की जाति जनगणना पर सिद्धारमैया सरकार ने लगभग 160 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसे आधिकारिक तौर पर सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के रूप में जाना जाता है। इस सर्वे में 45 दिनों में 1,60,000 लोगों की भागीदारी देखी गई थी। इस दौरान 1 करोड़ 35 लाख घरों को कवर किया गया था। लेकिन फिर इसे सार्वजानिक नहीं किया गया। लेकिन अब इसकी मांग की जा रही है।                
        कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने x पर एक पोस्ट किया, जिसमें सिद्धारमैया सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के नतीजों को सार्वजनिक करने की अपील की गई है। उनके लहजे और भाव से पता चलता है कि कांग्रेस सरकार के लिए अब इस संवेदनशील डेटा को पब्लिक में जारी करना जरूरी हो गया है, जो कर्नाटक के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को स्थायी रूप से बदल सकता है।
                         कांग्रेस के नेता हरिप्रसाद ने पोस्ट करके कहा कि ‘इंडिया गठबंधन द्वारा शासित बिहार ने अपनी जाति जनगणना जारी की है। राहुल गांधी ने पिछड़े वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के बारे में भावुक होकर बात की है। अब कर्नाटक के लिए 2017 में कराई गई जाति जनगणना के आंकड़ो को तुरंत जारी करना अनिवार्य है।’ कर्नाटक अब जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी करने के लिए तैयारी कर रहा है। जो संभावित रूप से इस राज्य के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को स्थायी रूप से बदल सकता है और राज्य की राजनीति को उल्टा कर सकता है।
                            इस मसले पर कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने कहा, “सिद्धारमैया सरकार ने 2014 में 180 करोड़ से अधिक खर्च करके जाति जनगणना समिति का गठन किया था। अब भी उन्होंने जमा किए गए असली दस्तावेज को जारी नहीं किया है। हम निश्चित रूप से दबाव डालेंगे। उन्होंने कर्नाटक के नागरिकों से कंथाराज समिति द्वारा दी गई प्रस्तुति को जारी करने का वादा किया।
       बता दें कि बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी है । बिहार की जाति जनगणना के आंकड़ों से पता चला कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग  और अत्यंत पिछड़ा वर्ग बिहार की आबादी का 63% से अधिक हैं। यह अपनी तरह का देश का पहला सर्वे है। इससे पहले 1951 से 2011 तक स्वतंत्र भारत में प्रत्येक जनगणना के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर डेटा प्रकाशित किया गया है, लेकिन अन्य जातियों का डेटा जारी नहीं किया गया।

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