अखिलेश अखिल
यह बात और है कि बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ कई तरह के प्रचार किये जा रहे हैं। एक प्रचार तो यह भी किया जा रहा है कि नीतीश कुमार फिर से पाला बदल सकते हैं और एनडीए के साथ जा सकते हैं। यह प्रचार एक साजिस है ,इस साजिस में बीजेपी के भी कुछ नेता लगे हुए हैं और बीजेपी समर्थित मीडिया भी। हर रोज इस तरह की खबरे प्लांट की जा रही है। मकसद एक ही है कि विपक्ष का इंडिया टूट जाए। केंद्र सरकार की तरफ से राजद नेताओं पर ईडी के जरिये भी नकेल कसने की तैयारी है। इस बात की उम्मीद भी बढ़ती जा रही है कि संसद सत्र ख़त्म होते ही बिहार में ईडी का कोई बड़ा एक्शन होगा और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जेल भेज दिया जायेगा। तेजस्वी यादव जॉब फॉर लैंड मामले में ईडी के रडार पर हैं। इसके बाद का खेल यह है कि नीतीश कुमार को नैतिकता के आधार पर राजद से पिंड छुड़ाने का अभियान तेज होगा।
लेकिन उधर पटना में विपक्ष पूरी ताकत से एकजुट है। नीतीश कुमार अब मुंबई में होने वाले विपक्षी बैठक की ही प्रतीक्षा नहीं कर रहे हैं। उनकी पार्टी के लोग अगले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतारने की तैयारी भी कर रहे हैं। जदयू के लोग भी अब इस बात से सहमत हो रहे हैं कि नीतीश कुमार को नालंदा के साथ ही यूपी के फूलपुर से मैदान में उतारा जाए। जानकार मान रहे हैं कि अगर नीतीश कुमार फूलपुर से चुनावी मैडन में उतारते हिन् तो खेल बड़ा होगा। एक तो फूलपुर प्रयागराज का इलाका है और कुर्मी बहुल भी। इस फूलपुर से कई प्रधानमंत्री चुनाव लड़ चुके हैं और दिल्ली की सत्ता तक पहुँच चुके हैं। दूसरी बात यह है कि अगर फूल से नीतीश कुमार चुनाव लड़ते हैं तो आसपास के दर्जन भर सीटों को भी वे प्रभावित कर सकते हैं। याद रहे यह ये सभी पूर्वी यूपी के हैं और कुर्मी ,यादव ,ब्रह्म और मुस्लिम बहुल हैं।
जहाँ तक फूलपुर की बात है जदयू वहां लगातार सर्वे कर रही है। बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार लगातार फूलपुर का दौरा कर रहे हैं और जातीय संकरण को समझ रहे हैं। नीतीश कुमार के ख़ास संजय झा भी लगातार फूलपुर का दौरा कर रहे हैं और सपा के नेताओं के साथ बैठक भी कर रहे हैं। इसके साथ ही केसी त्यागी भी फूलपुर के गणित को समझ रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक़ इंटरनल सर्वे में यह बात सामने आई है कि नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने पर विपक्ष को दो दर्जन से ज़्यादा सीटों पर सीधा फायदा होगा, जबकि यूपी समेत उत्तर भारत की तमाम सीटों पर इसका असर देखने को मिलेगा।
ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक़ हुआ तो नीतीश कुमार 2024 के चुनाव में बिहार की नालंदा के साथ ही यूपी की फूलपुर सीट से भी ताल ठोंकते हुए नज़र आ सकते हैं। इस सीट पर नीतीश कुमार के सजातीय कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। यहां अब तक नौ बार कुर्मी प्रत्याशी सांसद चुने गए हैं। पंडित नेहरू से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह भी फूलपुर सीट से सांसद रह चुके हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक़ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों को नीतीश को फूलपुर में समर्थन करने में कोई गुरेज भी नहीं होगा।
फूलपुर सीट का जातीय समीकरण भी पूरी तरह नीतीश के मुफीद है। यहां कुर्मी वोटर तीन लाख के करीब हैं। इसके साथ ही यादव और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं। यानी फूलपुर से चुनाव लड़कर राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा सियासी संदेश दिया जा सकता है। इस जातीय गणित के सहारे ही फूलपुर सीट से अब तक नौ कुर्मी सांसद चुने गए हैं। मौजूदा समय में भी यहां से कुर्मी समुदाय की बीजेपी नेता केशरी देवी पटेल ही सांसद हैं। अकेले फूलपुर ही नहीं बल्कि आस-पास की तकरीबन दो दर्जन सीटों पर कुर्मी वोटर मजबूत स्थिति में हैं।
कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है। ऐसे में सबसे बड़ी बात है कि पीएम मोदी अगर काशी से चुनाव लड़ते हैं तो नीतीश कुमार भी फूलपुर से उन्हें चुनौती दे सकते हैं। और ऐसा हुआ तो खेल रोचक होगा। एक तरफ विपक्षी सेना कड़ी होगी और दूसरी तरफ एनडीए की सेना। एक तरफ पीएम मोदी के तंज होंगे तो दूसरी तरफ नीतीश के कटाक्ष। एक तरफ अखिलेश यादव की हुंकार होगी तो दूसरी तरफ सुभासपा का जोर। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार इस बार यूपी से ही चुनाव लड़े। कहा तो यह भी जा रहा है कि ममता बनर्जी भी कुछ ऐसा ही चाहती है। मकसद एक ही है कि किसी भी सूरत में बीजेपी को परास्त करना है।
रोचक होगी कशी बनाम प्रयागराज की लड़ाई ,एक तरफ होंगे पीएम मोदी तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार!
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