अखिलेश अखिल
जाति गणना पर अब बीजेपी घिरती जा रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार पर भी दवाब है। उसे भी अपनी स्थिति को साफ़ करनी होगी। पार्टी और केंद्र सरकार को अब मौन रहने से कोई काम नहीं चलने वाला है। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट में जाति गणना के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है और केंद्र सरकार ने भी उसमे दखल किया है उससे साफ़ हो गया है कि अब उसे अपना नजरिया स्पष्ट करना होगा। बीजेपी की भी यही हालत है। ऐसा नहीं हो सकता है कि वह बिहार और झारखण्ड में जाति गणना का समर्थन करे और यूपी में इसका विरोध और दिल्ली को लेकर तटस्थ। अब उसे अपना सबकुछ साफा करना होगा। अगर बीजेपी और केंद्र सरकार अपना नजरिया साफ़ नहीं करती है उसे कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। संभव है अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना स्टैंड साफ़ करे।
सुप्रीम कोर्ट में जाति गणना को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने दखल दिया और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि केंद्र की ओर से इस मामले में जवाब दाखिल किया जाएगा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि सरकार अभी तटस्थ है लेकिन जाति गणना के दूरगामी असर होंगे इसलिए सरकार जवाब दाखिल करेगी। केंद्र सरकार का जवाब बहुत अहम होगा क्योंकि उससे पता चलेगा कि भाजपा इस मुद्दे पर क्या राय रखने जा रही है और आगे वह इस मसले पर किस तरह से राजनीति करेगी।
यह इसलिए भी अहम है क्योंकि बिहार में जाति गणना का काम पूरा हो गया है और जल्दी ही इसके आंकड़ा सार्वजनिक होंगे। उस आधार पर बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यू और राजद सरकार की ओर से आरक्षण की सीमा बढ़ाने का फैसला किया जाएगा। इस बीच कांग्रेस पार्टी ने चुनावी राज्यों में जाति गणना का वादा करना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर राज्य में कांग्रेस जीतती है तो वह जातीय गणना कराएगी, जिससे लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का पता चलेगा। ध्यान रहे जाति गणना का दांव पिछड़ी, दलित, आदिवासी जातियों के वोट को लेकर बहुत अहम है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियां इसे कई राज्यों में आजमा रही हैं।
इसे लेकर भाजपा दुविधा में है। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने इसका असर होने की बात कही है और कहा कि सरकार जवाब दाखिल करेगी वैसे ही बिहार में राजद व जदयू के नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाना शुरू कर दिया कि वह इस मामले को लटकाना चाहती है। दूसरी ओर बिहार भाजपा की तरफ से कहा गया कि वह इसका समर्थन करती है। लेकिन चूंकि यह मामला अब बिहार से निकल कर देश भर में पहुंच गया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में भी जाति गणना का मुद्दा है तो भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्टैंड तय करना होगा। केंद्र सरकार के जवाब से वह स्टैंड जाहिर होगा। भाजपा को पता है कि इसका समर्थन और विरोध दोनों उसके लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। अगर जाति गणना का समर्थन करती है तो हिंदू एकजुटता की बात करने वाले कट्टर समर्थक और सवर्ण नाराज होंगे और अगर विरोध करती है तो दबंग पिछड़ी जातियों के मुकाबले अतिपिछड़ों को साथ लाने का उसका दांव फेल होगा। यह सांप-छुछंदर वाली स्थिति है।
बीजेपी की परेशानी अब बढ़ रही है। कई राज्यों में भी इस तरह की गणना की मांग बढ़ती जा रही है। ऐसे में या तो उसे इस गणना को सिरे से नकारना होगा या फिर समर्थन में आना होगा।