नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम सहित कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है। इसका समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना होगा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की और से आयोजित संविधान दिवस समारोह में उन्होंने कहा कि जज वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान लागू करते हैं संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया था और इस दिवस को वर्ष 2015 से पहले तक विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था वर्ष 2015 से इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश ने शीर्ष अदालतों में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया की आलोचनाओं पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं है लेकिन हम संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर काम करते हैं। मेरे सहित काूलेजियम के सभी न्यायाधीश, हम संविधान को लागू करने वाले वफादार सैनकि हैं। जब हम खामियों की बात करते हैं तो हमारा समाधान है मौजूदा व्यवस्थाओं के भीतर काम करना। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में अच्छे लोगों को लाने और उन्हें उच्च वेतन देने से कॉलेजियम प्रणाली में सुधार नहीं होगा।
गरीबों का मुकदमा निशुल्क लड़ें वकील: चीफ जस्टिस
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान का सही से काम करना इस बात पर निर्भर करता है कि जिला न्यायपालिका कैसे काम कर रही है। जब हम संविधान का जश्न मनाते हैं तो हमें संविधान को अपनाने से पहले के इतिहास के बारे में जानना चाहिए। बार के वरिष्ठ सदस्य से गरीब वादियों के मामलों को निशुल्क लड़ने का अनुरोध करते हुए कहा कि प्रक्रिया को संस्थागत बना सकते हैं।
सुनवाई के वीडियो सोशल मीडिया पर देखकर चिंतित
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा होने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि उन्होेंने अदालती कार्यवाही की दस सेकंड की क्लिप देखी है, जिसमें बिना संदर्भ के सोशल मीडिया पर डाला गया था। हम इसकी जांच कर रहे हैं।