Homeदेशमाझी पर नीतीश का हमला और फिर बीजेपी की राजनीति का सच 

माझी पर नीतीश का हमला और फिर बीजेपी की राजनीति का सच 

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न्यूज़ डेस्क 

बिहार की राजनीति इन दिनों अलग राह पर है। नीतीश कुमार भी बहुत ही जल्दबाजी में हैं। इंडिया गठबनधन की अपनी राजनीति है और उस गठबंधन में नीतीश आज भी बड़ी भूमिका तलाश रहे हैं। नीतीश यह मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर होगा। बीजेपी की हालत ख़राब होगी। यही वजह है कि नीतीश कुमार पहले जातीय सर्वेक्षण को अंजाम दिया। फिर आंकड़ों को सार्वजानिक किया। उसके बाद सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों को बटकर बिहार की सूरत को सबके सामने लाया और फिर आरक्षण का बड़ा दाव खेल कर बीजेपी की राजनीति को कुंड करने का खेल किया है। इसी बीच नीतीश कुमार बहक भी जाते हैं और बहुत कुछ भदेश भाषा में बोल भी जाते हैं। हालांकि उनके बयान के शब्दों में खामियां हो सकती है लेकिन उनके बयान को गलत नहीं ठहराया जा सकता। वे महिला शिक्षा के जरिये प्रजनन दर में कमी लाने की बात जो कर रहे थे। लेकिन ठगिनी राजनीति का सच तो यही है कि उसे कोई मुद्दा चाहिए ताकि देश और समाज के सामने किसी को अपमानित किया जाए।     
  पहले सदन में बोलने में गलतियां की और बाद में पूर्व सीएम माझी पर नीतीश भाड़ काज्ञे। उन्हें अपमानित कर दिया। अब बिहार विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भाजपा ने कड़ा प्रतिवाद किया है।
       भाजपा ने साफ किया कि भाजपा एससी, एसटी, पिछड़े का अपमान नही सहेगी। भाजपा मांझी के साथ है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि आज सदन में जो स्थिति उत्पन्न हुई, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। तीन दिनों से जो स्थिति बनी है, उससे साफ है कि नीतीश कुमार ने लोकतंत्र को शर्मसार किया है। आज उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के जन्मदिन पर हम लोगों ने सुबह बधाई दी थी। इसके बाद राजद कार्यालय के सामने आंगनबाड़ी सेविकाओं पर लाठी चार्ज और फिर दोपहर के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और दलित परिवार से आने वाले नेता का अपमान।
        प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में चौधरी ने मुख्यमंत्री के बयान ‘मेरे गदहपन की वजह से सीएम बने’ की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार का मुख्यमंत्री ‘गदहा’ नहीं हो सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीएम बहनों, महिलाओं, दलितों का लगातार अपमान कर रहे हैं। इन शर्मसार करने वाली घटनाओं की भाजपा भर्त्सना करती है।
     विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सदन में जो घटना घटी, उससे न केवल विधायिका बल्कि सदन को सीएम ने अपमानित किया है। सदन के सबसे वरीय नेता और पूर्व मुख्यमंत्री को जिस तरह अपमानित किया गया, उसे कोई स्वीकार नहीं कर सकता। यह घमंडिया गठबंधन के लोगों की मानसिकता को दर्शाता है। विधान परिषद में विपक्ष के नेता हरि सहनी ने कहा कि आज जो घटना घटी वह मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को चरितार्थ करता है। मंचों पर तो नीतीश दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों की तारीफ नहीं करते और सदन में दलित का अपमान करते हैं। उन्होंने कहा कि मांझी दलितों के सर्वमान्य नेता हैं, उनके साथ ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
       पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भाजपा आरक्षण संशोधन विधेयक का समर्थन कर रही थी, उसके बावजूद विपक्ष के नेता को नहीं बोलने दिया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह मुसहर जाति से आने वाले नेता को सीएम ने तू-तड़ाक किया, उसे सही नहीं ठहराया जा सकता। सदन के अनुभव में भी मांझी, सीएम नीतीश कुमार से वरिष्ठ हैं और उम्र में भी बड़े हैं।

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