बीरेंद्र कुमार
बिहार में विवादित बयानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां कोई नेतृत्व, कोई धर्म, तो कोई जाति के नाम पर आए दिन सार्वजनिक मंच से अपने भाषणों से जहर उगल रहा है। अब इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है, नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार का ।नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार ने 10 फ़ीसदी आरक्षण पाने वालों को अंग्रेजों का दलाल बताया। भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने यह बात भागलपुर में गोराडीह प्रखंड के सालपुर पंचायत के काशील हटिया मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा।
90% वाले को समाज में कोई सम्मान नहीं
भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि जगदेव बाबू ने दलित शोषित पिछड़े और वंचितों के उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90% है। उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता था। वहीं जो आज 10 फ़ीसदी आरक्षण वाले हैं, उन्हें अंग्रेजों ने जाते वक्त सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बना दिया, जबकि मेहनत मजदूरी करने वाले आज तक भूमिहीन बने हुए हैं। आलोक मेहता यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि जिन्हें आज 10 प्रतिशत आरक्षण में गिना जाता है, वह पहले मंदिर में घंटी बजाते थे और अंग्रेजो के दलाल थे। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जमीन पाने के लिए पता नहीं 10% आरक्षण वाले लोगों ने अंग्रेजों के सामने क्या-क्या रखे होंगे।
अंग्रेजों के दलालों में हमारे बाप दादाओं का शोषण किया
भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि यह जो 10% आरक्षण वाले लोग हैं, उनके सामने जो आवाज उठाता था उनकी जुबान बंद कर दी जाती थी। आजादी के पहले अंग्रेज और आजादी के बाद अंग्रेजों की इन दलालों ने हमारे बाप दादाओं का शोषण किया है। हमारे बाप दादाओं को कुर्सी पर बैठने तक की अनुमति नहीं थी। कई इलाकों में तो इन्हें सड़क पर जूता पहनकर चलने तक की छूट नहीं थी। भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता का इशारा आर्थिक आधार पर आरक्षण पाने वाले ईडब्ल्यूएस में शामिल लोगों के लिए था। बाद में उन्होंने खुलेआम ईडब्ल्यूएस आरक्षण के खिलाफ भी बोला। उन्होंने कहा कि 10% आरक्षण दलित और शोषित तबकों के लिए उचित नहीं है। आने वाले समय में आरक्षण पर खतरा है।