अखिलेश अखिल
लोकसभा चुनाव अभी साल भर बाद है लेकिन सियासी शतरंज की चालें अभी से ही चली जा रही है। गैर बीजेपी दलों की चाहत यही है कि बीजेपी को मात दी जाय। विपक्षी दल मूलतः केंद्र सरकार से इसलिए खफा है कि उसे सरकारी जाँच एजेंसियों से डराया ,धमकाया जा रहा है। उसकी राजनीति को ख़त्म किया जा रहा है। इसमें सच्चाई भी है। मौजूदा समय में जाँच एजेंसियों के राडार पर जितने भी नेता है उनमे अधिकतर विपक्ष के ही नेता है। ऐसे में विपक्षी एकता की बात कही जा रही है ताकि सब मिलकर बीजेपी को हरा सके। लेकिन क्या यह सब इतना आसान है ?
विपक्षी एकता के सबसे बड़े चेहरे के रूप में बिहार के सीएम नीतीश कुमार सामने आये हैं। वे इस दिशा में काफी मेहनत भी कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि सब को मिल जाने से वोट का बंटवरा रुक सकता है और हीर बीजेपी को चुनौती दी जा सकती है। विपक्ष की राजनीति यही है कि बीजेपी की सौ सीटों को कम किया जाए। और ऐसा हो गया तो सत्ता परिवर्तन निश्चित है।
नीतीश कुमार लगातार विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं। मंगलवार को उनकी मुलाकात ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से हुई। बातें तो खूब हुई लेकिन पटनायक ने अभी तक कुछ भी साफ़ नहीं किया है। नीतीश कुमार सिर्फ यही कह पाए हैं कि पटनायक विपक्षी एकता के साथ हैं। लेकिन सच क्या है यह कौन जाने ! आज नीतीश कुमार रांची जा रहे हैं। वहां वे अपने समकक्ष हेमंत सोरेन से मिलेंगे। इस मुलाकात की दो राजनीति है। एक तो विपक्षी खेमे को मजबूत करना है। दूसरी राजनीति यह है कि झारखंड में जदयू के लिए जमीन तलाशने की कोशिश। झारखंड में लोक सभा की 14 सीटें है और झारखंड में कुर्मी और कुशवहा समज का बड़ा वोट बैंक ही। इस वोट बैंक का लाभ हेमंत की पार्टी झामुमो को भी मिल सकता है और फिर इस जातिगत समीकरण के आसरे जदयू भी राजनीति कर सकती है ,नीतीश और हेमंत की मुलाक़ात की एक रजनीति यह भी है।
उधर कल 11 तारीख को नीतीश कुमर मुंबई ज रहे हैं। वहां उनकी मुलाकात और बात उद्धव ठाकरे से होनी है। इसके बाद शरद पवार से भी उनकी मुलाकात होगी। कहा जा रहा है कि यह बड़ा राजनीतिक अभियान है। इस अभियान के बाद नीतीश कुमार दक्षिण की तरफ भी बढ़ेंगे। उनकी मुलाकात चंद्रबाबू नायडू से होनी है साथ ही जगन रेड्डी से भी वे मिलेंगे। केसीआर से भी उनकी मुलाक़ात होगी और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से भी वे बात -मुलाक़ात करेंगे। इसके बाद खा ज रहा है कि पटना में एक बड़ा मजमा लगेग जिसमे आगे क रोड मैप बनेगा। लेकिन इससे पहले जब कर्नाटक के चुनाव परिणाम आएंगे तब उसके मुताबिक भी की तरह की रणनीति बनाने की बात की जा रही है।


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