न्यूज़ डेस्क
भारत की यात्रा पर आये नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के साथ भारत ने हर तरह के मजबूत सम्बन्ध रखने की बात तो की है और पीएम प्रचंड बेहद खुश भू हुए हैं। लेकिन नेपाल में विपक्षी पार्टी से लेकर नेपाल सरकार के कई नेताओं ने प्रचंड से कहा है कि भारत के नए संसद भवन में जो भित्तिचित्र यानी नक्शेनुमा म्यूरल आर्ट में नेपाल के कई इलाकों को भारत के भीतर जिस तरह से दिखाया गया है उस पर भारत से बात करे .प्रचंड और पीएम मोदी के बीच इस मसले क्या कुछ बात हुई है इसकी जानकारी तो अभी नहीं है लेकिन नेपाल में इस नक़्शे को लेकर बवाल मचा हुआ है। नेपाल को लग रहा है कि भारत ने जानबूझ कर नेपाल के कुछ इलाके को भारत के भूगोल में दिखाया है और इससे लगता है कि भारत भविष्य में कुछ कर सकता है।
हालांकि सभी जानते हैं कि यह केवल एक आर्ट है जो अखंड भारत की तस्वीर को दिखा रहा है। इस आर्ट में पाकिस्तान के भी कुछ इलाके को दिखाया गया है साथ ही अफगानिस्तान के साथ ही श्रीलंका को भी समेटा गया है। लेकन पकिस्तान में इसको लेकर कई तरह की बाते कही जा रही है। पाकिस्तान टेंशन में आया हुआ है। लग रहा है कि आने वाले समय में भारत उस पर हमला करेगा और विस्तार करेगा। बता दें कि भारत के नए संसद भवन में लगे अखंड भारत के म्यूरल आर्ट में प्राचीन काल में भारत के नक्शे को दर्शाया गया है। अखंड भारत के इस नक्शे में वर्तमान का पाकिस्तान, नेपाल अफगानिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश दिखाए गए हैं, जो तत्कालीन समय में भारत का ही हिस्सा थे। ऐसे में कुछ पडोसी देश इसे भारत की विस्तारवादी मानसिकता मान रहे हैं और इससे भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे हैं।पाकिस्तान की बढ़ी टेंशन का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है उन्होंने अपनी चिंता को साफ तौर पर जाहिर कर दिया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अखंड भारत का दावा भारत की विस्तारवादी मानसिकता का दिखावा है जो उनके पड़ोसी देशों, धार्मिक अल्पसंख्यकों की विचारधारा और संस्कृति का दबान करना चाहती है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने भारत से विस्तारवादी विचारधारा से दूर रहने और शांतिपूर्ण तरीके से अपने पड़ोसी देशों के साथ विवादों का निपटारा करने का आग्रह किया है।
वहीं नेपाल के पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई ने इस बारे में अपनी चिंता जाहिर करते हुए भारत से स्पष्टीकरण मांगा है। नेपाल के अन्य पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली ने भी चिंतित स्वर में इसे अनुचित बताया है।

