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बिहार विधानसभा अध्यक्ष को अपने पद से हटाने की के लिए एनडीए ने दिया नोटिस

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रविवार को बिहार के राजनीति में हुए बड़े उलट- फेर के बाद अब एनडीए खेमे की तरफ से नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गए हैं।नीतीश कुमार के साथ 8 मंत्रियों ने भी राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शपथ लिया। एनडीए खेमे की तरफ से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार की इस नवनियुक्त सरकार ने सबसे पहले जो फैसला लिया है,वह बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को हटाने से जुड़ा हुआ है। शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को थमा दिया गया है। ऐसा एनडीए सरकार की सुरक्षा को दृष्टिकोण में रखते हुए किया गया,क्योंकि अवध बिहारी चौधरी आरजेडी के नेता हैं।विधासभा अध्यक्ष के पद पर रहते हुए इनसे एनडीए की सरकार को खतरा उठान पद सकता रहा लिहाजा, एन डी ए के लिए इन्हें हटाकर अपने गुट का विधान सभा अध्यक्ष लाना जरूरी था।

विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ पर विश्वास प्रस्ताव का नोटिस

रविवार को बिहार में सत्ता बदली, और एनडीए की ओर से नीतीश कुमार ने अपने 8 मंत्रियों के साथ शपथ लिया। इसके साथ ही एनडीए सरकार का का पहला बड़ा एक्शन भी दिखा।बीजेपी की ओर से नंदकिशोर यादव ने विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया ,जिसमें जिक्र किया गया है कि विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर अब इस सदन का विश्वास नहीं रह गया है। नोटिस पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी,पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा किशोर प्रसाद जनता दल यूनाइटेड के विनय कुमार रत्नेश सदा ,समिति कई विधायकों के हस्ताक्षर हैं।

विधायकों की खेमेवार स्थिति

बिहार विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 243 है,इसलिए यहां बहुमत के लिए आवश्यक विधायकों का जादुई आंकड़ा 122 है। जेडीयू और बीजेपी को मिला दें तो दोनों के पास 123 विधायक है। वहीं एनडीए के अन्य दलों को मिलाकर सत्ता पक्ष पक्ष के पास 128 विधायक है।

वहीं विपक्षी खेमा यानी महागठबंधन के पास 114 विधायकों का समर्थन है। एआइएमआइएम के विधायक अख्तरुल इमान किसी गठबंधन के साथ नहीं है। वही जब महागठबंधन की सरकार बिहार में बनी थी तब आरजेडी की ओर से अवध बिहारी चौधरी विधानसभा के अध्यक्ष बनाए गए थे।

विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया

विधानसभा के अध्यक्ष को हटाने के लिए सबसे पहले विधान सभा के सचिव को इस संबंध में 14 दिन पूर्व एक सूचना देनी पड़ती है। विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली का नियम 110 कहता है कि अध्यक्ष को हटाने के लिए सदस्यों को प्रस्ताव लाने के 14 दिन पहले सदन के सचिव को सूचना देनी पड़ेगी। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही ही अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा अध्याशासी सदस्य उस प्रस्ताव को पढ़ेगा। इसके बाद जिन सदस्यों ने विश्वास प्रस्ताव की सूचना दी है उनको सदन में प्रस्ताव पढ़ने की अनुमति दी जाती है। गौरतलब है कि जिस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है ,वह कार्यवाही के दौरान अध्यक्ष कुर्सी पर नहीं बैठ सकते हैं , यानि उस समय वे विधानसभा की अध्यक्षता नहीं करेंगे। इसके बाद आवश्यकता पड़ने पर सदन में वोटिंग कराई जाती है।

किस दल से बन सकते हैं नए स्पीकर

माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद बीजेपी के खाते में दिया जाएगा। इसके पहले भी 2020 में बीजेपी की विजय कुमार सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए थे ,लेकिन 2022 में जेडीयू ने राजद के साथ सरकार में जाने का फैसला लिया ,तो पहले तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफा की प्रतीक्षा की गई। मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी आरजेडी के पुराने नेता और सिवान जिला से विधानसभा के सदस्य हैं।

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