बीरेंद्र कुमार झा
इसराइल और हमास संघर्ष पर दुनिया भर के देश तो दोनो धड़ों को लेकर दो भागों में बटे हुए हैं ही, इसराइल के खिलाफ खड़े प्रतीत हो रहे अरब के और अन्य जगहों के मुस्लिम देश भी दो भागों में बटे हुए हैं।
हमास और इजराइल युद्ध के मुद्दे पर बंटे हुए हैं मुस्लिम देश
कुछ अरब देश गाजा में हमलों को लेकर इसराइल पर आक्रामक हैं। इस प्रकार से वे परोक्ष रूप से हमास के आतंकी कार्रवाई को भी सही ठहरा रहे हैं।लेकिन उन्हें सभी मुस्लिम देशों का समर्थन प्राप्त नहीं है, यही कारण है कि अभी तक इजरायल के विरुद्ध सिर्फ दर्जन भर देश मुस्लिम देश खुलकर सामने आए हैं, जबकि मुस्लिम देशों की संख्या करीब 50 के लगभग है ,जिनमें से 22 देश तो अरब लीग के ही देश है। यह दर्शाता है कि इस मुद्दे पर अरब और अन्य मुस्लिम देश आसपास में बांटें हुए हैं। इसलिए इस प्रकार के आसार बहुत कम है कि आने वाले दिनों में इसराइल और अरब देशों के बीच किसी प्रकार का टकराव
हो सकता है।
मुस्लिम देशों के बटे होने के कारण
मुस्लिम देशों के बटे होने की एक बड़ी वजह टर्की,सऊदी अरब और ईरान के बीच का मतभेद होना है।यह तीनों देश मुस्लिम देशों का नेतृत्व करना चाहता है , लेकिन में कोई एक दूसरे की नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगा। ईरान सबसे ज्यादा मुखर है, लेकिन सिया राष्ट्र होने की वजह से ज्यादातर मुस्लिम देशों को उसका नेतृत्व स्वीकार नहीं है।
सिर्फ चार देश इजराइल के खिलाफ
माना जा रहा है कि ईरान, जॉर्डन लेबनान,और मिश्र ये चार देस ही इस समय इसराइल के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर हैं। ये देश यह जानते हैं कि यदि वे खुलकर हमास के समर्थन में उतरे तो उनका हश्र भी हमास की तरह हो सकता है। इसलिए वह गाजा पर निर्दोष लोगों पर हमले को लेकर सिर्फ मुस्लिम देशों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हमास को गाजा के लोगों का समर्थन प्राप्त है। फिलिस्तीन में बेस्ट बैंक भी है,लेकिन वहां पर इस प्रकार का कोई संकट नहीं है,क्योंकि वेस्ट बैंक की जनता हमास का समर्थन नहीं करती है।