न्यूज़ डेस्क
आज से संसद का पहला सत्र शुरू हो गया है। लेकिन संसद के भीतर असली लड़ाई 26 तरीख से होगी। दस साल में पहली बार मजबूत विपक्ष इस बार मोदी सरकार को घेरने के लिए शुरुआत से ही दम लगा रही है। इसकी शुरुआत प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर टकराव को लेकर हो चुकी है। वहीं सत्र के पहले दो दिन सांसदों का शपथ ग्रहण के दौरान सदन में ज्यादा कुछ नहीं होगा, लेकिन 26 जून को स्पीकर के चुनाव में सरकार और विपक्ष में टकराव दिख सकता है।
दरअसल, इस बार कांग्रेस ने विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद देने की मांग की है। वहीं एनडीए के भीतर भाजपा अपना स्पीकर बनाने को तैयार दिख रही है। डिप्टी स्पीकर को लेकर सरकार ने अब तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। यदि सरकार विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं देती है तो स्पीकर के नाम पर सर्वसम्मिति बनाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
इसके बाद 27 जून को राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा, जिस पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की जाएगी। इस दौरान सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ज्वलंत मुद्दों को उठाने की रणनीति बना रहा है।
जिन मुद्दों को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरेगा उनमे शामिल है नीट, नीट पीजी, नेट समेत अन्य परीक्षा गड़बड़ी,एग्जिट पोल पर जेपीसी की मांग,अग्निवीर को समाप्त करने की मांग और तीन न्याय संहिता को लागू होने से रोकने की मांग।
इंडिया गठबंधन अपने मुद्दों को उठाने के लिए संसद में एकजुट होने को तैयार है। इसको लेकर संसद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में नियमित बैठकें हो सकती है।
इस बार लोकसभा में सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी, स्मृति ईरानी, मेनका गांधी, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, ब्रजभूषण शरण सिंह, अर्जुन मुंडा लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। ढाई दशक बाद पहला मौका होगा, जब कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी सदन में नजर नहीं आएंगी। चुनाव की घोषणा से पहले उन्होंने राज्यसभा की सीट जीतकर खुद को रायबरेली सीट से अलग कर लिया था। 20 साल बाद गांधी परिवार से सिर्फ एक सांसद लोकसभा में दिखेगा।
इस बार कई नए पुराने चेहरे भी देखने को मिलेंगे। चंद्रशेखर आज़ाद, बांसुरी स्वराज, कृति देव बर्मन, कंगना रनौत, वाइकेसी वाड्यार, राहुल गांधी, शशि थरूर, अखिलेश यादव, महुआ मोइत्रा, इमरान मसूद, निशिकांत दुबे, गौरव गोगोई, अनुराग ठाकुर।
उधर ,सोलह साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की बीस साल बाद लोकसभा में वापसी हो रही है। वह 2005 में मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके थे।
इस बार किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलने से एक दशक बाद देश में फिर गठबंधन का दौर लौट आया है। 1989 से 2014 के बीच 25 साल में पी. वी. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, एच.डी. देवैगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने गठबंधन सरकार चलाई।
दस साल बाद लोकसभा में विपक्ष का नेता नजर आएगा। सन् 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 44 और 52 सीटें जीत पाई थी। विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिए किसी भी दल को न्यूनतम 55 सीटें जीतना जरूरी है। इस बार कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं, लिहाजा विपक्ष का नेता पद उसके पास जाना तय है।