अखिलेश अखिल
धर्म बिकता है और नेता -राजनीति भी बिकती है लेकिन आस्था को भला कौन खरीद सकता है ? आस्था ही तो जीवन का आधार है। आप सनातनी हो या फिर इस्लाम को मानाने वाले। सिख हों या फिर ईसाई ,आस्था के जरिये ही जीवन का संकल्प लोग पूरा करते हैं। लेकिन यही आस्था जब कट्टरता का रूप धारण कर लेती है तो समाज बंटता है ,इंसानियत बंटती है और फिर समाज ,देश भी कलंकित होता जाता है।
भारत के इतिहास में अयोध्या मंदिर -मस्जिद विवाद को आप इसी नजरिये से देख सकते हैं। सालों तक चले मंदिर -मस्जिद विवाद ने आस्था पर भी चोट की और बेतरतीव मनमुटाव भी समाज में फैलाया। राजनीति भी खूब हुई ,खून भी बहे और फिर कोर्ट के फैसले से सब कुछ शांत हो गया। सुप्रीम अदालत ने भगवान् राम की जन्मभूमि को स्थाई रखा और मुसलमांनो को अलग जगह पर पांच एकड़ जमीन सौंपा। दोनों पक्ष सहमत हुए। ईश्वर -अल्लाह के नारे लगे और फिर राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद ख़त्म हो गया।
अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण चल रहा है। मंदिर स्वर्ण जड़ित होगा। गर्भगृह से शीर्ष तक स्वर्ण ही स्वर्ण। सनातनी खुश है लेकिन मौजूदा राजनीति पर अब वही सनातनी जो कल तक मंदिर के लिए खून बहाने की बात करते थे ,आज दुखी हैं। बीजेपी की मौजूदा राजनीति से ऊब चुके लोग अब मंदिर की चर्चा नहीं करते। कहते हैं है कि मन्दिर से पेट नहीं भरता। सरकार पेट भरने की बात करे और देश में अमन चैन कैसे स्थापित हो इस पर काम करे। पिछले दिनों गृह मंत्री शाह ने अपने भाषण में कहा कि अयोध्या में बन रहा भगवान् राम का मंदिर अगले साल की शुरुआत तक तैयार हो जाएगा। समझ में नहीं आता कि पूर्वोत्तर के राज्य में शाह भाषण दे रहे थे और वहाँ मंदिर की चर्चा कर रहे थे। लोगों की समझ से बहार की बात थी। फिर समझ में आया कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से बीजेपी की परेशानी बढ़ी है ऐसे में एक बार फिर से अयोध्या मंदिर की कहानी की याद शाह सामने ले आये। आगे दस राज्यों में चुनाव भी है और फिर लोकसभा चुनाव भी। जानकार मान रहे हैं कि इस लोकसभा चुनाव तक बीजेपी मंदिर को भुनाएगी। ठीक चुनाव से पहले मंदिर का उद्घाटन होगा और फिर देश में एक ऐसा धार्मिक माहौल खड़ा किया जाएगा जिसमे विपक्ष की सारी रणनीति ध्वस्त हो जाएगी।
लेकिन किसी को पता है कि मुसलमानो को मस्जिद बनाने के लिए जो पांच एकड़ जमीन उसी अयोध्या के धन्नीपुए गांव में दिए गए थे उसकी हालत क्या है ? सरकारी उलझन में वह जमीन लम्बे समय तक फंसी रही। कृषि वाली जमीं थी वह। उसे निर्माण वाली जमीन बनाने के लिए सरकारी फाइलों में तबदीली करनी थी। जो अब भी जारी ही है। लेकिन माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही सब ठीक हो जाएगा और धन्नी पुर में विशाल सात मंजिल मस्जिद तैयार होगी। जानकार यह भी कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो मंदिर के साथ ही मस्जिद का उद्घाटन भी साथ ही होगा।
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर आखिरी फैसला सुनाया था। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दी गई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात तो ये है कि मस्जिद निर्माण से पहले ही इस सेक्युलर समाज ने जो किया है वह बहुत कुछ कहता है। धर्म के नाम पर एक दूसरे के खून के प्यासे बने हिन्दू -मुसलमान अब मस्जिद के चंदे इकठ्ठे कर रहे हैं। जानकार के मुताबिक़ मस्जिद निर्माण के लिए सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश से चंदा आया है। ट्रस्ट ने ये रकम गिनी तो हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की एक नई तस्वीर सामने आई। मस्जिद बनाने के लिए अब तक मिले कुल दान का 40 प्रतिशत हिस्सा हिंदुओं ने दिया है।
अब कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में मुसलमानों को दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। यह जानकारी मस्जिद निर्माण का कार्य कर रहे ट्रस्ट ने दी। मस्जिद का निर्माण करा रहे ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। अगर ऐसा हुआ तो यह एक संयोग होगा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण मुकम्मल होने के आसपास ही मस्जिद के ढांचे की तामीर भी पूरी हो जाएगी। ट्रस्ट सूत्रों का कहना है कि फाउंडेशन मस्जिद के साथ बाकी चीजों का भी निर्माण शुरू कराएगी लेकिन क्योंकि मस्जिद छोटी है इसलिए उसके जल्द बनकर तैयार हो जाने की संभावना है। हालांकि इसके निर्माण की कोई समय सीमा नहीं तय की गई है मगर उम्मीद है कि अगले एक साल के अंदर (दिसंबर 2023 तक) हम मस्जिद का ढांचा तैयार कर लेंगे।” हुसैन ने बताया कि मस्जिद और अन्य सुविधाओं का निर्माण उसी डिजाइन के अनुरूप किया जाएगा जो ट्रस्ट ने पहले जारी किया था।
मस्जिद का नाम ‘धन्नीपुर अयोध्या मस्जिद’ होगा जबकि मस्जिद तथा अन्य सभी सुविधाओं के पूरे परिसर को ‘मौलवी अहमदुल्लाह शाह कॉम्पलेक्स’ के तौर पर जाना जाएगा। बता दें कि अहमदुल्लाह शाह महान स्वतंत्रता सेनानी थे। मस्जिद परिसर में अस्पताल भी होगा और लाइब्रेरी भी। सामूहिक रसाई भी होगी और कई अन्य सुविधाएं भी।
कह सकते हैं कि एक तरफ मंदिर और दूसरी तरफ मस्जिद से भगवान् राम और दूसरी तरफ अल्लाह देश वासियों को सुख और शांति का आशीर्वाद देंगे। कहेंगे —खुश रहो लेकिन राष्ट्र के लिए लड़ते रहो।