विकास कुमार
देश में फाइव जी का नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है। फाइव जी नेटवर्क को लेकर लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं हैं। पर्यावरण के एक्सपर्ट्स का दावा है कि फाइव जी नेटवर्क कैंसर के जोखिम को कई गुना बढ़ा देगा। बताया जाता है कि मोबाइल फोन के टावर से निकले रेडियो फ्रीक्वेंसी के कारण ब्रेन कैंसर हो सकता है। ब्रिटेन के एक अध्ययन में दावा किया गया था कि सेल फोन के रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर तक हो सकता है। हालांकि यह अध्ययन भी किसी निश्चित परिणाम को साबित नहीं कर सका। आम जनता भी फाइव जी नेटवर्क के विस्तार से डरी हुई है और फाइव जी नेटवर्क के विस्तार का विरोध किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव में जिओ फाइव जी के टावर का लोगों ने विरोध किया है। गुस्साए ग्रामीणों ने कंपनी की गाड़ी में तोड़फोड़ भी किया है। गांव वालों का कहना है कि अगर फाइव जी का टावर लगा तो वे अपने मकान बेच देंगे।
वहीं एसडीएम सदर परमानंद झा ने बताया कि विरोध को देखकर फिलहाल काम रोक दिया गया है। उन्होंने कहा कि बड़े अधिकारियों से बात कर गांव में टावर लगाया जाएगा।
गांव के लोगों को डर है कि फाइव जी टावर से निकलने वाले रेडिएशन से वे बीमार हो सकते हैं। साथ ही पालतू पशुओं को भी रेडिएशन से खतरा है इसलिए गांव के लोग फाइव जी टावर लगाने का विरोध कर रहे हैं,लेकिन अधिकारी किसी भी कीमत पर गांव में ही टावर लगवाने पर अड़े हैं। अगर टावर से निकलने वाले रेडिएशन से गांव के लोगों को बीमारी हुई तो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा।