न्यूज़ डेस्क
आज मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। मोहन यादव के मंत्रिमंडल में 28 विधायकों को मंत्री के लिए शपथ दिलाई गई। सरकार अब पूरी ताकत के साथ राज्य को आगे बढ़ाने का काम करेगी। लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि बीजेपी ने इस मंत्रिमंडल के साथ ही आगमी लोकसभा चुनाव को भी साधने की कोशिश की है। इस मंत्रिमंडल में सभी जातियों को भागीदारी दी गई है।
मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों में से पिछले चुनाव में बीजेपी को 28 सीटों पर जीत मिली थी। केवल छिंदवाड़ा की सीट कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के पास गई थी। कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश में बीजेपी लोकसभा की सीट जीतने में चरम पर पहुँच गई है। अब उसे पाने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन बीजेपी ने इन सीटों में से कुछ भी खोया तो उसकी परेशानी बढ़ जाएगी। यह भी याद रखने की जरूरत है कि इस बार इस प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है इस आधार पर कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी कुछ सीटों को खो देती है तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाएगी। यही वजह है कि मंत्रिमंडल के गठन में बीजेपी ने आगामी राजनीति को देखते हुए जातीय समीकरण को भी साधने का काम किया है।
कहा जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश में बंपर जीत के बाद 2024 लोकसभा चुनाव की 29 सीटों के लिए जाति और क्षेत्रीय समीकरण भी साध लिया है। विपक्ष की ओबीसी और जातीय जनगणना की काट के लिए न सिर्फ ओबीसी सीएम को आगे बढ़ाया बल्कि 12 अति पिछड़ों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। इसके साथ ही पांच एससी और चार एसटी विधायकों को मंत्री बनाकर कांग्रेस से बहस का मुद्दा छीन लिया है। राजेंद्र शुक्ल को उपमुख्यमंत्री समेत 8 सवर्णों को भी मंत्री बनाकर सर्वसमाज को भी खुश होने की वजह दी है। डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल में पांच महिलाओं को भी जगह मिली है।
बता दें कि मोहन यादव ने 13 दिसंबर को सीएम पद की शपथ ली थी। उनके साथ एससी नेता जगदीश देवड़ा और ब्राह्मण चेहरे राजेंद्र शुक्ल ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। इसके बाद से करीब दो सप्ताह तक मंत्रिमंडल विस्तार अटका रहा। नए मुख्यमंत्री दो बार दिल्ली बुलाए गए, फिर मंत्रियों की फाइनल लिस्ट पर मुहर लगी। बताया जाता है कि इस दौरान बीजेपी के केंद्रीय नेता सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ एक साथ कई समीकरण साधने की तैयारी करते रहे। पहले पुराने और नए नेताओं की लिस्ट पर चर्चा हुई, जिनके पास प्रशासनिक अनुभव था। शिवराज सरकार में शामिल रहे कई पुराने नाम की छुट्टी कर दी गई।
मोहन यादव के मंत्रिमंडल में नए और पुराने चेहरों को जगह देने पर सहमति बनी। इसमें सबसे पहले प्रह्लाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह के नाम पर मुहर लगी। ये सभी नेताओं को केंद्रीय हाईकमान ने विधानसभा चुनाव में उतारा था। इसके बाद जाति के हिसाब से नामों की सूची खंगाली गई।
कहा जा रहा है कि जिस तरह से जातीय समीकरण को साधा गया है अगर जातीय नेता अपनी भागीदारी से वोट उगाहने में सफल होते हैं तो बीजेपी को इस बार भी सभी सीटें मिल सकती है। बीजेपी का मकसद भी यही है। लेकिन जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगर जातीय समीकरण काम नहीं करता है तो बीजेपी की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ेगी।