न्यूज़ डेस्क
आखिरकार वही हुआ जिसकी प्रतीक्षा की जा रही है। संजय निरुपम आखिरकार कांग्रेस से अलग हो गए। पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निलंबित किया तो वे और भी विफर पड़े। अब उन्होंने पार्टी पर कई सवाल खड़े किये हैं। कुछ सवाल तो ऐसे हैं जिस पर विचार करने की जरूरत है। संजय निरुपम काफी समय से कांग्रेस के साथ थे। वे शिवसेना से कांग्रेस में आये थे।
निरुपम ने दावा किया कि पार्टी ने ऐसा उनकी ओर से अपना इस्तीफा भेजने के बाद किया गया। पार्टी को कार्रवाई के लिए ए-4 साइज का पेपर बर्बाद करने की जरूरत नहीं थी। इससे पहले अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों की शिकायतों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार देर शाम निरुपम को तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया था।
निरुपम ने एक्स पर कहा, ‘ऐसा लगता है कि कल रात मेरा इस्तीफा पत्र मिलने के तुरंत बाद उन्होंने मेरा निष्कासन जारी करने का फैसला किया। ऐसी तत्परता देखकर अच्छा लगा। इससे पहले खरगे को लिखे पत्र में निरुपम ने कहा था कि मैंने आखिरकार आपकी बहुप्रतीक्षित इच्छा को पूरा करने का फैसला किया है। मैं एलान करता हूं कि मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
संजय निरुपम ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर कांग्रेस आलाकमान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैंने कल एक घोषणा की और लगभग 10:40 बजे मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेज दिया। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से बिखरी हुई पार्टी है और पार्टी के नेताओं ने भी कहा है कि इसकी विचारधारा दिशाहीन है।
उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस पार्टी में एक पावर सेंटर हुआ करता था, लेकिन इस समय कांग्रेस पार्टी में पांच पावर सेंटर हैं और पांचों की अपनी लॉबी है जो आपस में टकराती रहती है। इन पांचों सेंटर में सबसे पहले सोनिया गांधी हैं, दूसरे सेंटर में राहुल गांधी, तीसरे में प्रियंका गांधी, चौथे में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और आखिरी में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल हैं। यह सब अपने प्रकार से राजनीति कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि संजय निरुपम मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे। हालांकि, आगामी संसदीय चुनावों के लिए शिवसेना (यूबीटी) ने इस सीट से अपने उम्मीदवार का एलान कर दिया था। इसके बाद निरुपम ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की सीट-बंटवारे की बातचीत के दौरान मुंबई की सीटें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को देने के लिए महाराष्ट्र कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना शुरू कर दी। इस पर बुधवार को कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची से निरुपम का नाम हटा दिया।
इसके बाद निरुपम ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है, इसलिए उसे खुद को बचाने के लिए स्टेशनरी और ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। मुंबई उत्तर से पूर्व सांसद ने यह भी कहा था कि कांग्रेस नेतृत्व को शिवसेना (यूबीटी) द्वारा खुद को कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
बता दें कि मुंबई उत्तर से पूर्व सांसद निरुपम ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) द्वारा मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से चार पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा के बाद बयान दिया था। निरुपम ने कहा था कि कांग्रेस नेतृत्व को खुद को शिवसेना (यूबीटी) के सामने झुकने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
संजय निरुपम ने शिवसेना की सूची पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा था ‘वे मुंबई में पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और एक दान के रूप में कांग्रेस के लिए छोड़ देंगे। यह निर्णय मुंबई में कांग्रेस को खत्म करने के लिए है। मैं इस निर्णय की निंदा करता हूं।’