अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली कूच कर रहे किसान और दिल्ली में किसानों के प्रवेश किसी भी हालत में नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध केंद्र की सरकार के बीच तनातनी काफी बढ़ चुकी है।एक तरफ से ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागे
जा रहे हैं तो दूसरी तरफ से पत्थरबाजी हो रही है। ऐसे में 13 फरवरी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों का भरोसा जीतने के लिए किसानों को उनकी सरकार बनने की स्थिति में अभी ही एमएसपी की कानून बनाने वाला गारंटी दे दी है। हालांकि विपक्षी राजनीतिक दल राहुल गांधी के इस बयान को खोखला बता रही है। उनका कहना है कि सरकार बनाने के बाद राहुल गांधी पूर्व में किए अपने किसी भी वायदे को लेकर तत्परता नहीं दिखाते हैं। राहुल गांधी ने भले ही अभी किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की बात कह कर उनके दुखों पर मरहम लगाकर उनकी सहानुभूति प्राप्त करने की चेष्टा की है, लेकिन पूर्व एमएलमें स्वामीनाथन कमीशन द्वारा प्रस्तुत किए गए एमएसपी के इसी मांग को मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ठुकरा चुकी है।
संसद में एमएसपी पर पूछे गए सवाल पर बैकफुट पर आ गई थी कांग्रेस की मनमोहन सरकार
16 अप्रैल 2010 को प्रकाश जावड़ेकर ने संसद में तत्कालीन मनमोहन सरकार से किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसल लागत से डेढ़ गुना तक एसपी दिए जाने के मसले पर विचार करने से संबंधित प्रश्न किया था। तब इस पर जवाब देते हुए केवी थॉमस ने विस्तार से इसे लागू नहीं करने की सरकार की मंशा को उजागर करते हुए कहा था कि सरकार स्वामीनाथन कमीशन की एमएसपी से जुड़ी इस सिफारिश को लागू करना नहीं चाहती है,क्योंकि इससे हमारी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी।
एमएसपी और फसल उत्पादन लागत को जोड़कर देखना गलत
स्वामीनाथन आयोग द्वारा किसानों को एमएसपी देने की सिफारिश को लेकर तत्कालीन कांग्रेसी कृषि मंत्री ने कहा था कि प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन के नेतृत्व में किसानों पर बने राष्ट्रीय आयोग की सिफारिश हमें मिली है। इसमें कहा गया है कि किसानों को फसलों पर लागत की कुल लागत से डेढ़ गुना अधिक एमएसपी दी जानी चाहिए ।हालांकि सरकार ने उनकी सिफारिश को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन यदि इन्हें लागू किया गया तो फिर इससे मार्केट पर बुरा असर होगा और इससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। कुछ मामलों में एमएसपी और फसलों के उत्पादन लागत को जोड़कर देखना गलत होगा।साथ ही इससे बाजार पर भी सही असर नहीं पड़ेगा।