भारत में संघीय शासन प्रणाली लागू है, इसके अलावा संविधान ने लोगों को अभिव्यक्ति की भी आजादी दी है।भले ही संविधान निर्माताओं ने इन अधिकारों के प्रयोग करने से पहले कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किए हैं,लेकिन आम तौर पर विशेषकर राजनेताओं और मंत्रियों द्वारा इसे लेकर अपने कर्तव्यों का तो पालन नहीं ही किया जा रहा है,उल्टे अपने विरोधियों को जो मन में आया बोल दिया जा रहा है।हाल के दिनों में इन राजनेताओं और मंत्रियों में पत्र लिखकर एक दूसरे को नीचा दिखाते हुए चुनावी लाभ लेने का भरपूर प्रयास किया जा रहा हैं। उदाहरण के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे का पीएम मोदी को और जेपी नड्डा का मल्कीकार्जुन खड़गे को लिखा पत्र।अब इस कड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जुट गई हैं।अपने पत्र में वे पीएम मोदी को एक केंद्र एजेंसी के मुद्दे पर धमका रही हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में बाढ़ के हालात से अवगत कराया और केंद्रीय कोष को मंजूरी देने का अनुरोध किया है।गौरतलब है कि डीवीसी के लगभग 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने की वजह से पूर्व बर्धमान, पश्चिम बर्धमान, बीरभूम, बांकुड़ा, हावड़ा, हुगली, पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर विनाशकारी बाढ़ में डूब गए हैं, जिससे आम लोगों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में लगभग धमकाते हुए अंदाज में चरावनी दी है कि यदि डीवीसी एकतरफा ढंग से पानी छोड़ना जारी रखता है, तो हम उनके साथ किए गए समझौते को तोड़ देंगे।उन्होंने लिखा है कि इस समय बंगाल में दामोदर के निचले इलाकों और आसपास के क्षेत्रों में 2009 के बाद सबसे भयानक बाढ़ आई है।