अखिलेश अखिल
पीएम मोदी ने कर्नाटक चुनाव के अंतिम समय में बीजेपी को संजीवनी दी दी है। मेगा रोड शो के जरिये पीएम मोदी ने जो कमाल किया है उसकी कल्पना बीजेपी ने भी की थी। अब अगर बीजेपी की हार होती है तो उसके जिम्मेदार पीएम मोदी हो होंगे और बीजेपी जीत जाती है तो उसका श्रेय भी मोदी को ही जाएगा। सच तो यही है कि पिछले सप्ताह भर से बीजेपी के जो भी बड़े नेता नड्डा ,योगी ,शाह लोगों से वोट मांग रहे हैं ,वे सब मोदी के नाम पर ही तो मांग रहे हैं। राज्य में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जिसकी साख बची हो और जो अपने चेहरे पर वोट उगाहने की काबिलियत रखते हों। ऐसे में अब कर्नाटक के जो भी परिणाम आएंगे उसके लिए सिर्फ मोदी ही जिम्मेदार होंगे।
लेकिन इन सब बातो के बीच एक कहानी यही दिख रही है कि अगर बीजेपी चुनावी प्रचार में हारते -हारते अंत में चुनाव परिणाम में कुछ बेहतर कर भी जाती है तो किंग मेकर की भूमिका में जेडीएस उभरकर सामने आएगी। कुमार स्वामी का कद बढ़ेगा और उनके वगैर कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी। पहले भी किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिला है और इस बार भी कुछ उसी तरह का माहौल बनता दिख रहा है।
कर्नाटक में जेडीएस सफलता के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर वापसी करने की उम्मीद कर रहा है। पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जेडीएस चुनावों में विजयी होने की अपनी संभावनाओं पर विश्वास से भरी है। जानकारों का कहना है कि राज्य में किंगमेकर बनने के लिए अनुकूल माहौल है। पार्टी नेतृत्व दावा कर रहा है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों में बगावत की घटनाओं और देवगौड़ा से जुड़े भावनात्मक मुद्दों के बाद, पार्टी सिर्फ एक किंगमेकर होने के बजाय बेहतर संभावनाएं खड़ी कर रही है।
देवगौड़ा राज्य का दौरा कर रहे हैं और व्हीलचेयर पर लोगों के पास जा रहे हैं, भाषण दे रहे हैं और अपने बेटे को सीएम बनाने की अपील कर रहे हैं। वह अभी भी वोक्कालिगा समुदाय के निर्विवाद नेता हैं, जो दक्षिण कर्नाटक क्षेत्र में राजनीतिक दलों के भाग्य का फैसला करता है, जिसमें बेंगलुरु सहित 80 से अधिक सीटें हैं। अगर पीएम मोदी के आज मेगा रोड शो का कुछ असर पड़ता है तो निश्चित रूप से जेडीएस की राजनीति मजबूत होगी।
कर्नाटक चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। राष्ट्रीय दल, भाजपा और कांग्रेस इन परिणामों से देश को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। कर्नाटक राज्य दोनों पार्टियों के लिए दक्षिण भारत की एकमात्र कड़ी है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद, कांग्रेस कर्नाटक को जीतना चाहती है और इसे लोकसभा चुनाव के लिए दिशा तय करने के लिए लॉन्च पैड बनाना चाहती है। यह कार्यकर्ताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित करना चाहता है। हालांकि राज्य कांग्रेस नेतृत्व मजबूत है, राहुल गांधी देश को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।
वही भारतीय जनता पार्टी के लिए एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को मात देकर देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर साबित करना ही सबकुछ है। कर्नाटक चुनाव अब पूरी तरह से पीएम मोदी के इर्द-गिर्द हो गया है। पीएम मोदी दावा कर रहे हैं कि चुनाव परिणाम कर्नाटक राज्य के भाग्य का फैसला करेंगे। उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 5वें स्थान से तीसरे स्थान पर ले जाने के उनके सपने को पूरा करने के लिए कर्नाटक में जीत महत्वपूर्ण है।
बता दें कि भाजपा का उद्देश्य कर्नाटक में कांग्रेस को रोकना और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर जीत दर्ज करना है। इक्का-दुक्का मौकों को छोड़कर जीत की होड़ में लगी भाजपा अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। अगर भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने में विफल रहती है तो यह उत्साह का अंत और भाजपा के एक स्वीकृत रवैये के अंत का संकेत भी देगा।