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सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को नौकरशाहों पर नियंत्रण का अधिकार मिलते ही सीएम केजरीवाल ने दिल्ली में तैनात नौकरशाहों पर लगाम कसना भी शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चंद घंटे बाद ही केजरीवाल ने सचिव स्तर के एक अधिकारी का तबादला कर दिया। ये अधिकारी एलजी के काफी करीब थे और केजरीवाल के लिए सिरदर्द। आखिर सिरदर्द को कोई कब तक पाल सकता है ! जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने कल दिल्ली की चुनी हुई सरकार के हाथ में नौकरशाहों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की ताकत दी ,केजरीवाल ने सचिव को अपने रडार पर ले लिया। उधर सचिव का तबादला होते ही एलजी कार्यालय बिफर गया। इस तबले पर एलजी कार्यालय के अधिकारियों ने नाराजगी जताई है।
दिल्ली सरकार ने सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को पद से हटा दिया है। आशीष मोरे दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज के विभाग में सचिव थे। आशीष मोरे की जगह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल कुमार सिंह को नया सचिव बनाया गया है। अनिल कुमार सिंह पहले जल बोर्ड के सीईओ थे। आशीष मोरे के तबादले पर दिल्ली राज्यपाल के दफ्तर के नौकरशाहों ने नाराजगी जताई है।
दूसरी ओर सरकार ने आशीष मोरे के ट्रांसफर को दिल्ली में सत्ता की गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण बदलाव बताया है। शीर्ष अदालत के फैसले के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को ट्वीट किया कि “राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के साथ न्याय करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट का तहे दिल से शुक्रिया। इस निर्णय से दिल्ली के विकास की गति कई गुना बढ़ेगी। लोकतंत्र की जीत हुई।”
बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने दिल्ली में आप सरकार की उल्लेखनीय उपलब्धियां बताते हुए अपने सामने आने वाली चुनौतियों और बाधाओं को उजागर किया। उन्होंने कहा, कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए मुझे लाक्षणिक रूप से मेरे हाथ बांधकर पानी में फेंक दिया गया था। हालांकि, मुझे इस बात पर गर्व है कि इन बाधाओं के बावजूद हमने दिल्ली में उल्लेखनीय काम किया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार को अपनी विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर प्रशासन में नौकरशाहों पर नियंत्रण रखना चाहिए। इसने माना कि उपराज्यपाल भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस से संबंधित मामलों को छोड़कर एनसीटी सरकार की सहायता और सलाह लेने से बंधे हुए हैं।