रांची (बीरेंद्र कुमार): पारसनाथ बचाओ समिति ने मधुबन में महाजुटान कर अपने आंदोलन का शंखनाद कर दिया है। इसके साथ ही मरांग बुरु पारसनाथ की लड़ाई तेज हो गई है। पारसनाथ यानी मरांग बुरु के अस्तित्व को लेकर मूलवासी और आदिवासियों की तरफ से मोर्चा खोल दिया गया है। इस महा जुटान के कार्यक्रमों को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद हो गई है। इस महा जुटान में संथाल परगना, उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर, कोल्हान और आसपास के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए हैं। इसके अलावा इस महाजुटान में बंगाल और उड़ीसा के लोग भी भाग ले रहे हैं। मधुवन में हुए इस महाजुटान को लेकर प्रशासन सीसीटीवी के साथ-साथ ड्रोन कैमरे से भी सारी स्थितियों स्थितियों पर नजर रखे हुए हैं।
सरकार के विरुद्ध हो रहा विरोध प्रदर्शन
मधुबन में आम सभा के बाद भव्य जुलूस निकालकर सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है महा जुटान कार्यक्रम में शामिल हुए हजारों की संख्या में लोग पारंपरिक हथियार के साथ पारसनाथ पर्वत की चढ़ाई कर रहे हैं। जुलूस में शामिल लोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। इस दौरान पारसनाथ पर्वत पर स्थित मरांग बुरु दिसोम मांझी थान में लोगों ने पीएम, सीएम और गिरीडीह विधायक का पुतला भी दहन किया।
क्या है विरोध का कारण?
हाल में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पारसनाथ पर्वत को पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया था। सरकार के इस निर्णय से पारसनाथ पहाड़ की पवित्रता के नष्ट होने की संभावना काफी अधिक बढ़ गई थी। उसे देखते हुए आदिवासियों और मूल वासियों के द्वारा अपने आराध्य मरांग बुरु की सुरक्षा की लेकर किए जा रहे इस विरोध के पहले जैन समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इनका विरोध प्रदर्शन न सिर्फ पूरे देश में, बल्कि विदेशों में भी काफी जोरदार था। यहां तक कि एक जैन मुनि ने पारसनाथ को पर्यटन क्षेत्र बनाने के विरोध में उपवास कर अपनी जान तक दे दी।
इसके बाद हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र की बीजेपी की सरकार को इस मामले में फसाने के लिए मामले को केंद्र सरकार के पास भेज दिया। बाद में केंद्र सरकार ने पारसनाथ को पर्यटन स्थल बनाने रखने वाले अनुच्छेद को निरस्त करने का संदेश राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को दे दिया है। पारसनाथ को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की दिशा में केंद्र व राज्य सरकार की हालिया पहल का आदिवासी मूलवासी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से जारी निर्देश में सिर्फ जैनियों के तीर्थस्थल का जिक्र है मरांग बुरु और अन्य देवताओं का कोई उल्लेख ही नहीं है।