बीरेंद्र कुमार
झारखंड के रामगढ़ विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव की घोषणा हो चुकी है। यहां 27 फरवरी को मतदान होगा और 2 मार्च को इसके नतीजे सामने आएंगे। सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक कांग्रेस की विधायक ममता देवी की सदस्यता रद्द होने की वजह से हो रहे रामगढ़ विधानसभा का उपचुनाव, सत्तारूढ़ महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती है तो,झारखंड में हुए पिछले कई उपचुनाव में हार का मुंह देखने के कारण यह उपचुनाव बीजेपीनीत एनडीए के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। हालांकि अभी दोनों ही पक्षों की ओर से अपनी-अपनी जीत के दावे किए जा रहे हैं।
बीजेपी के जीत के दावे
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल सहदेव की मानें तो बीजेपी रामगढ़ उपचुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत के दावे यूं ही नहीं कर रही है, बल्कि इसके पीछे एक ठोस आधार है। झारखंड में 2005 ,2009 और 2014 में हुए विधान सभा चुनाव में रामगढ़ से एजेएसयू के चंद्र प्रकाश चौधरी लगातार विजयी हुए थे। तब बीजेपी और एजेएसयू एनडीए गठबंधन के सदस्य हुआ करते थे और मिलकर चुनाव लड़ते थे। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़े जिससे एनडीए गठबंधन के वोटों का बिखराव होने के कारण कांग्रेस की ममता देवी यहां से विजय हुई थी। इस बार एनडीए ऐसी गलती नहीं करेगा और बीजेपी तथा एजेएसयू के वरिष्ठ नेता मिलकर एक संयुक्त उम्मीदवार इस उपचुनाव में उतारेंगे, जिससे एनडीए के वोटों का विखराव नहीं होगा और एनडीए के उम्मीदवार यहां आसानी से चुनाव जीत जाएगा।
महागठबंधन के दावे
एनडीए की ही तरह सत्तारूढ़ महागठबंधन भी रामगढ़ उपचुनाव में अपनी जीत को पक्का बता रहा है। कॉन्ग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद के अनुसार 2019 के चुनाव में जनता ने कांग्रेस की ममता देवी को 5 वर्षों के लिए जनादेश दिया था ,लेकिन एक षड्यंत्र के तहत ममता देवी को एक मामले में फंसा दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में इन्हें 5 वर्ष की सजा सुना दी,जिसके कारण इनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म हो गई और यहां उपचुनाव की नौबत आ गई। इस चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस ने यहां अपने कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो को चुनाव की तैयारी की निगरानी के लिए नियुक्त कर दिया है। ये पहले से ही यहां कांग्रेस के पक्ष में हवा बनाने में जुटे हुए हैं। इनके निर्देशन में कॉन्ग्रेस ने बूथ स्तर तक चुनाव जीतने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके अलावा महागठबंधन की तरफ से रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में ममता देवी के पति बजरंग महतो को उम्मीदवार बनाया जाएगा, जिससे सहानुभूति वोट भी इनके पक्ष में ही पड़ेगा और कांग्रेस आसानी से रामगढ़ विधान सभा उपचुनाव जीत जाएगी।
क्या है झारखंड उपचुनाव जितने का वर्तमान ट्रेंड!
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में मोदी का मैजिक एनडीए के प्रत्याशी को जीत दिलाएगा या हेमंत की हिम्मत कांग्रेस के उम्मीदवार को जिताने में कामयाब होगी इसका पता तो 2 मार्च को रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आने के बाद ही चलेगा , लेकिन अगर झारखंड में हुए पिछले कुछ उपचुनाव को देखें तो यहां एनडीए गठबंधन या सत्तारूढ़ महागठबंधन के जीत के ट्रेंड का पता चल जाएगा। 2019 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिले बहुमत के आधार पर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड की सत्ता संभालने के बाद झारखंड में 4 विधानसभा उपचुनाव हुए हैं। इन चारों ही विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ महागठबंधन को सफलता हाथ लगी है जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को हर जगह हार का ही सामना करना पड़ा है। बेरमो और मांडर की सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस को जीत मिली तो वही दुमका और मधुपुर में हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव जीतने में सफलता प्राप्त की।