बीरेंद्र कुमार झा
झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन की ओर से प्रवर्तन निदेशालय( ED )के समन व उसके अधिकार को लेकर दायर क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष सुना। प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता पी चिदंबरम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई आपराधिक मामला भी नहीं है और ना ही कोई प्राथमिक की दर्ज है।वैसे पहले वे ईडी की जांच में सहयोग कर चुके हैं। उनकी ओर से अपने संपत्ति की जानकारी दायर आईटी रिटर्न में भी दी गई है।वह इसकी जानकारी ईडी को भी दे चुके हैं, बावजूद इसके ईडी उन्हें दूसरे मामलों में बार-बार समन देकर परेशान कर रहा है।इस तरह का समन जारी करना असंवैधानिक है।प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की।
चिदंबरम ने कहा ईडी का समन अस्पष्ट, नहीं कर सकता गिरफ्तार
श्री चिदंबरम ने खंडपीठ को बताया कि हेमंत सोरेन को ईडी की ओर से जो समन जारी किया गया है। वह स्पष्ट नहीं है।उन्हें गवाह के रूप में या आरोपी के रूप में समन किया गया है, इसकी भी जानकारी नहीं दी गई है। श्री चिदंबरम ने पंकज बंसल बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए बताया कि ईडी के साथ सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तार नहीं की जा सकती है।श्री चिदंबरम ने अभी कहा कि ईडी के अधिकारी इनकम टैक्स ऑफिसर होते हैं और झारखंड में उनके द्वारा जमीन की दस्तावेजों की जांच की जा रही है, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यह कानूनी रूप से भी गलत है। चिदंबरम ने प्रतिवादी को नोटिस जारी करने का आग्रह किया तथा यह भी बताया कि इसी तरह का मामला सुप्रीम कोर्ट में 18 अक्टूबर को सूचीबद्ध है।इसके बाद 19 अक्टूबर को मामले को सुना जाए, लेकिन खंडपीठ की ओर से पूर्व निर्धारित तिथि 13 अक्टूबर को सुनवाई करने की बात कही गई।