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केंद्र से मिलने वाली राशि को अपनी मर्जी से खर्च नहीं कर सकेगी झारखंड सरकार

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बीरेंद्र कुमार
केंद्रीय अनुदान के तहत मिलने वाली राशि को झारखंड सरकार अब अपने मनमाफिक खर्च नहीं कर पाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर उपरोक्त आशय का निर्देश दिया है। झारखंड के मुख्य सचिव को संबोधित पत्र के जरिए आगाह किया गया है कि वह केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई अनुदान राशि का उपयोग किसी भी हाल में अपने कर्मचारियों के वेतन, मानदेय या प्रोत्साहन के लिए नहीं करें। भारत सरकार की आपत्ति के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पत्र के जरिए झारखंड सरकार को सूचना दे दी है। नई व्यवस्था के लागू होने के बाद वित्तीय वर्ष 2023- 24 से राज्य सरकार वेतन भुगतान या प्रोत्साहन मद में अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानि एनएचएम फंड में मिली राशि का उपयोग नहीं कर सकेगी।

अनुबंध कर्मियों के वेतन और मानदेय के मामले में होना होगा आत्मनिर्भर

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से मिलने वाले अनुदान को लेकर नया नियम लागू होने के बाद राज्य सरकार को विभिन्न विभागों में अनुबंध और संविदा पर कार्यरत कर्मियों के वेतन या मानदेय भुगतान के मामले में आत्मनिर्भर होना होगा। नई व्यवस्था के बाद राज्य सरकार के पास वित्तीय अधिकार और संसाधन कम रह जाएंगे।

ऐसे में कर्मियों के वेतन और सरकारी उसकी मुंह में प्रोत्साहन राशि के लिए काफी हद तक एनएचएम के सीमित अनुदान या खुद के संसाधनों से नए फंड डिवेलप करने होंगे। सरकार के कुछ कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण के बाद राज्य बजट से ट्रेजरी के माध्यम से भुगतान किया जाता है। विधि विभाग द्वारा जारी संकल्प में भी इसका जिक्र है। वही संविदा पर कार्यरत कर्मियों के मानदेय से संबंधित आदेश संकल्प पत्र वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किया जाता है।

नए नियम के लागू होने के बाद अनुबंध और संविदा कर्मियों को सेवा शर्त एवं नियोजन की प्रक्रिया के तहत अब समय से वेतन या मानदेय भुगतान में देरी हो सकती है। ईपीएफ, सामान्य ग्रुप बीमा तथा भविष्य की सुरक्षा से संबंधित अन्य सुविधाएं देने में भी आगे सैद्धांतिक कठिनाई हो सकती हैं।

आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए मिलेगा ज्यादा आवंटन

भारत सरकार का मानना है कि प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों और आदिवासी समुदायों के स्वास्थ्य के लिए सीएचसी-पीएचसी स्तर पर आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए अब ज्यादा राशि उपलब्ध हो सकेगी। आवंटित राशि का इस्तेमाल आदिवासियों के समग्र विकास के लिए करना है। केंद्र सरकार के इस पैसे से ऐसी योजनाएं बनाई जानी है, जिससे आदिवासी समुदाय को सीधे तौर पर फायदा हो।

केंद्र सरकार के स्तर से मंजूरी लिए बिना खर्च नहीं करनी है राशि

केंद्र सरकार द्वारा जारी इस पत्र में दो वित्तीय वर्षों 2021-22 और 2022 – 23 का जिक्र किया गया है। यह भी कहा गया है कि अगर केंद्र सरकार द्वारा दी गई सहायता राशि में से राज्य सरकार को विकास मद में कोई बड़ी राशि खर्च करनी है तो उसे हर हाल में राष्ट्रीय स्तर की समिति से अनुमोदन प्राप्त करना होगा। राज्य सरकार को कहा गया है कि वह तब तक राशि का उपयोग ना करे, जब तक उसे केंद्र सरकार के स्तर से स्वीकृत नहीं किया गया हो।

क्या होता था अबतक?

केंद्र द्वारा राज्य सरकार को भेजी जाने वाली ऐसी राशि के उपयोग को लेकर राज्य सरकार स्वतंत्र होती थी। इस वजह से राज्य सरकार इस राशि से स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले कर्मियों को वेतन या अनुदान के मद में भी खर्च कर देती थी। वेतन और अनुदान में इस राशि का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाने के कारण सीएचसी -पीएचसी स्तर पर आधारभूत संरचना का विकास नहीं हो पाता था। आधारभूत संरचना की कमी के वजह से यहां पर लोगों को सामान्य स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं मिल पाती थी। दूसरे शब्दों में कहें तो इस वजह से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का कार्यक्रम सही ढंग से नहीं चल पा रहा था। केंद्र सरकार के पैसे खर्च हो जाते थे, लेकिन लोगों को फायदा नहीं पहुंचता था।

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