न्यूज़ डेस्क
हरियाणा में कांग्रेस की हार जिस तरीके से हुई है उससे साफ़ है कि चाहे बीजेपी की मशीनरी जितनी भी तेज और कलंकित क्यों न हो एक बात तो यह सच हो गया है कि बीजेपी के सामने अब कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है। वह आज भी भावना में बहती है और झूठ की कहानी में यकीन कर जाती है।
हरियाणा में कांग्रेस का संगठन आज भी कमजोर है और बीजेपी का सामना कतई नहीं कर सकती लेकिन हुड्डा परिवार ने कांग्रेस जिस तरह से हाईजैक करके सब कुछ नाश किया है उसकी भरपाई तो अभी नहीं ही की जा सकती। हरियाणा में कांग्रेस का अब भविष्य क्या होगा यह कोई नहीं जानता।
हरियाणा को गंवाने के बाद कांग्रेस की नजर झारखंड पर जा टिकी है। झारखंड में झामुमो और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार है। अब यहाँ भी चुनाव की दुदुम्भी बजने वाली है। जाहिर है कि सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के बीच बातचीत तेज हो गई है। सीट को लेकर कांग्रेस के अंदर मंथन चल रहा है।
कांग्रेस कुछ नयी सीटों पर दावेदारी की तैयारी में है। पिछले यूपीए गठबंधन में कांग्रेस के खाते में 31 सीटें आयी थीं। इनमें से कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के आने के बाद कांग्रेस का ग्राफ 18 पर पहुंच गया था। पिछले चुनाव में कांग्रेस छह सीटों पर आखिरी समय तक प्रत्याशी की तलाश कर रही थी। कांग्रेस ने इस बार 40 सीटों पर सर्वे कराया है।
सीटिंग सीटों सहित कई नयी जगहों पर कांग्रेस जमीन तलाश रही है। कांग्रेस रांची, खूंटी, सिसई, बिशुनपुर सहित दूसरी सीटों पर इस बार अपनी दावेदारी पेश करेगी। ये सीटें पिछली बार झामुमो के खाते में गयी थी। रांची शहरी इलाके में कांग्रेस अपने समीकरण का हवाला दे रही है। वहीं, खूंटी लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खूंटी विधानसभा में कांग्रेस की दावेदारी होगी। सिसई में फिलहाल झामुमो के विधायक हैं।
सिसई सीट से गीताश्री उरांव कांग्रेस से विधायक रह चुकी हैं। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस उनके लिए दावा करेगी। वहीं, बिशुनपुर सीट पर भी कांग्रेस की नजर है। हालांकि, इस सीट से झामुमो के चमरा लिंडा विधायक हैं। लेकिन, चमरा की झामुमो से दूरी रही है। उन्होंने लोहरदगा से बागी के रूप में लोकसभा का चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के प्रदेश नेताओं की मानें, तो पार्टी इस बार 34-35 सीटों पर अपना दावा पेश करेगी।
कांग्रेस अपने समीकरण के आधार पर दक्षिणी छोटानागपुर की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर सकती है। कांग्रेस इन सीटों पर अपने हिसाब से चुनावी समीकरण देख रही है। वहीं, पिछली बार पलामू प्रमंडल से कांग्रेस के खाते में डालटनगंज, मनिका, विश्रामपुर, भवनाथपुर और पांकी विधानसभा की सीट आयी थी। मनिका छोड़ कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत पायी। इस बार कांग्रेस पलामू में फंसना नहीं चाहती है।
उत्तरी छोटानागपुर और कुछ शहरी सीटों पर कांग्रेस पिछले चुनाव में पिछड़ गयी थी। कोयलांचल की चार सीट धनबाद, झरिया, बाघमारा और बोकारो कांग्रेस के पास गयी थी। इसमें केवल झरिया में जीत मिली। बोकारो में तो प्रत्याशी बदलना पड़ा. ऐसी कुछ सीटों को कांग्रेस छोड़ सकती है।