बीरेंद्र कुमार झा
देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से 4 राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आने लगे हैं। चुनाव परिणाम के रुझानों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता संभालने तक बढ़त हासिल कर ली है और अब जल्दी ही वहां भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री बनेंगे। इस चुनाव परिणाम में कांग्रेस के हाथ घोर निराशा लगी है और वह इन चार राज्यों में से दो राज्यों की अपनी वर्तमान सरकार को खोने के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को भी दोबारा सत्ता में आने से रोकने में भी विफल रही। इन चार राज्यों में से सिर्फ तेलंगाना में ही कांग्रेस को बढ़त मिली, जहां वह सरकार बनाने की स्थिति में आ पाई।तेलंगाना की जीत को भी मुख्य रूप से कांग्रेस के तेलंगाना पार्टी अध्यक्ष के प्रयशों के जीत के रूप में देखा जा रहा है, न कि राहुल,प्रियंका या खड़गे जैसे बड़े नेताओं के जीत के रूप में।कांग्रेस के हाथ इस चुनाव परिणाम में लगी निराशा के बाद अब इंडिया गठबंधन में भी इसका का कद घट सकता है।खासकर इंडिया गठबंधन के जेडीयू घटक ने तो अब अपने नेता नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के बॉस के रूप में स्वीकार करने को लेकर इसपर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के इस नाजुक स्थिति का लाभ लेने की तैयारी में जुटा जेडीयू
कांग्रेस के इस नाजुक स्थिति को देखते हुए अब जेडीयू अब इसका लाभ लेने की तैयारी में जुट गया है। जेडीयू के प्रवक्ता रहे पार्टी के स्टेट जनरल सेक्रेटरी निखिल मंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि अब विपक्षी गठबंधन ‘ इंडिया’ को आदरणीय नीतीश कुमार जी के कहे अनुसार चलना चाहिए। कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त होने की वजह से इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं दे पा रही थी। अब तो कांग्रेस ने चुनाव भी लड़ लिए और इसके रिजल्ट भी सामने आ गए। ध्यान रहे कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं।
विपक्षी दलों ने की तीन बैठकें
गौरतलब है कि जेडीयू ने जब खुद को एनडीए से अलग किया तो बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी, लेकिन मुख्यमंत्री फिर भी नीतीश कुमार ही बने रहे वहीं बीजेपी को केंद्र की गद्दी से हटाने की उद्देश्य से नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात शुरू की। विपक्षी दलों को एकजुट करने में नीतीश कुमार लग गए। इसके बाद विपक्षी दलों का एक गठबंधन तैयार हुआ और इसका नाम इंडिया गठबंधन रखा गया। पटना बेंगलुरु और मुंबई में इसकी तीन बैठकें जरूर हुई पर उसमें न तो सीट शेयरिंग पर बात ही बनी और न ही गठबंधन का कोई कोऑर्डिनेटर या पीएम चेहरा ही तय हो पाया।इससे पहले ही गठबंधन का कामकाज धीमा पड़ गया था। सीएम नीतीश कुमार ने इसका ठीकरा कांग्रेस के ऊपर ही फोड़ा था।
जब नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर बोला था हमला
हाल ही में वामदल की एक सभा में आमंत्रण पर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच पर से अपने संबोधन में कांग्रेस पर निशाना साधा था। इंडिया गठबंधन के कामकाज की रफ्तार धीमी होने के पीछे की वजह उन्होंने कांग्रेस का उदासीन रवैया बताया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं और उन्हें अभी इंडिया गठबंधन में कोई रुचि नहीं दिख रही, जब चुनाव संपन्न हो जाएंगे तब इंडिया गठबन्धन की बात की जाएगी। कहते हैं नीतीश कुमार के इस बयान से कांग्रेसी खेमे में भी खलबली मच गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार से फोन पर बात भी की थी
विधान सभा चुनावों में करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन में स्थिति मजबूत करने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चुनाव परिणाम के रुझानों से ही अपनी पार्टी की स्थिति का अंदाजा मिल गया।लिहाजा चार राज्यों के चुनाव के दौरान पड़े मतों की गिनती के बीच ही खड़गे ने इंडिया गठबंधन की मीटिंग 6 दिसंबर को रखी है।इस बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ अब सीट शेयरिंग वह अन्य मुद्दों पर भी मंथन हो सकता है।