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जयंत चौधरी बीजेपी से हुए अलग ,जम्मू कश्मीर में 20 सीटों पर लड़ेगी रालोद 

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न्यूज़ डेस्क 
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ लड़ने वाली रालोद विधान सभा चुनाव में बीजेपी से अलग हो गई है। जयंत चौधरी की पार्टी रालोद ने 23 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर इसका ऐलान भी कर दिया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में रालोद 15-20 सीटों पर अलग चुनाव लड़ने जा रही है। अगर ऐसा संभव होता है तो जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव बड़ा दिलचस्प होने वाला है।

जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में रालोद बीजेपी ने अपनी राहें अलग कर रही ही है। इसके लिए रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने 23 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इसमें स्वयं पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी, उत्तर प्रदेश में रालोद के मौजूदा दोनों सांसद चंदन चौहान और राजकुमार सांगवान के साथ छपरौली सीट से विधायक को भी शामिल किया गया है।

जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव की घोषणा हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार जम्मू कश्मीर में रालोद की नजर उन सीटों पर है। जहां ओबीसी और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। 

साथ ही पार्टी मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। जयंत चौधरी की पार्टी रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने बताया कि जम्मू कश्मीर में हमारी पार्टी का किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं है। हमारी पार्टी भाजपा से अलग होकर विधानसभा चुनाव में उतरेगी। अब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय लोकदल की एंट्री के बाद चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है।

जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 24 सीटों पर 18 सितंबर को मतदान होना है। जबकि दूसरे चरण की 26 विधानसभा सीटों पर 25 सितंबर को वोटिंग है। तीसरे और आखिरी चरण में जम्मू कश्मीर की 40 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 

वहीं चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में जहां एक ओर कांग्रेस उमर अब्दुल्ला की पार्टी एनसी के साथ गठबंधन में चुनावी मैदान में है। वहीं दूसरी ओर भाजपा है। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर मानी जा रही है। 

इसके अलावा महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी मैदान में ताल ठोंकी है। ऐसे में रालोद की एंट्री से चुनावी जंग और तीखी होने की संभावना है।

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। उस समय बीजेपी  और पीडीपी  ने गठबंधन की सरकार बनाई थी। साल 2018 में इनका गठबंधन टूट गया। इससे सरकार गिर गई। इसके बाद प्रदेश में 6 महीने तक राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 

इसी दौरान साल 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। जिसमें भाजपा ने भारी बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई। इसके बाद भाजपा सरकार ने पांच अगस्त 2019 को आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया। अब यहां दस साल बाद फिर विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई है। अब यहां बहुमत की सरकार बनाने के लिए 46 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी।

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