अखिलेश अखिल
चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। राज्य में तीन फेज में वोटिंग होगी। यहां विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। बहुमत का आंकड़ा 46 है। चुनाव आयोग के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में चुनाव के पहले फेज के लिए गजट नोटिफिकेशन 20 अगस्त से शुरू हो जाएगा। पहले फेज के नॉमिनेशन के लिए आखिरी तारीख 27 अगस्त होगी।
लेकिन बड़ी खबर ये है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा होते ही बीजेपी और कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए कई पार्टियों से गठबंधन की तैयारी भी शुरु कर दिया है। बीजेपी की नजर जहां कई छोटी पार्टियों पर है वही कांग्रेस भी राज्य की कई प्रमुख दलों के साथ गठबंधन के लिए आगे बढ़ती दिख रही है।
उधर राज्य की प्रमुख स्थानीय पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी भी आपसी मिलाप की बात करने लगी है ताकि सूबे में गठबंधन की सरकार बनायी जा सके। एक सम्भावना यह भी बताई जा रही है कि कांग्रेस भी पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।
लेकिन जम्मू कश्मीर में इन दिनों एक बड़ी खबर चल रही है। कहा जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस फिर से पार्टी में लाने को तैयार है। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही कांग्रेस राज्य में एक्टिव हो गई है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार चाहता है कि पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद की पार्टी में वापसी हो। इसके लिए सीनियर नेताओं को उनसे बात करने के लिए कहा गया है।
हालांकि, गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रवक्ता सलमान निजामी ने कहा- पिछले 2 हफ्ते से आजाद की कांग्रेस जॉइन करने की गलत खबरें चल रही है। न उन्होंने गांधी परिवार को और न ही गांधी परिवार ने उनको कॉनटेक्ट किया है। ये कोशिशें पार्टी को तोड़ने के लिए हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक गुलाम नबी आजाद के अलावा कांग्रेस में 5 अन्य नेता भी शामिल हो सकते हैं। डीपीएपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री ताज मोहिउद्दीन, पूर्व विधायक गुलजार अहमद वानी, पूर्व विधायक पीर मंसूर, पूर्व विधायक मोहम्मद अमीन भट भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इनके अलावा महबूबा मुफ्ती के चचेरे भाई सज्जाद मुफ्ती और अपनी पार्टी के महासचिव हिलाल शाह भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस छोड़ दी थी। आजाद ने अपने इस्तीफे के तौर पर पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्ने की चिट्ठी भेजी थी और उनकी सिफारिशों को नजर अंदाज करने का आरोप लगाया था।
आजाद ने लिखा था- राहुल गांधी ने पार्टी में एंट्री के साथ ही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। खासतौर पर जनवरी 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद तो पार्टी में यह सिस्टम पूरी तरह बंद हो गया।
गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग उस जी 23 समूह का भी हिस्सा थे, जो पार्टी में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता है। उन तमाम गतिविधियों के बीच इस इस्तीफे ने गुलाम नबी आजाद और उनके कांग्रेस के साथ रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है।
उधर चुनावों का ऐलान होने के बाद बीजेपी भी जम्मू-कश्मीर की रीजनल पार्टी और निर्दलीय नेताओं को अपने साथ लाने की कोशिशें कर रही हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष चौधरी जुल्फकार अली से मुलाकात की। अटकलें हैं कि जुल्फकार बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।