बीरेंद्र कुमार झा
7 अक्टूबर 2023 का वह दिन जब हमास के आतंकियों ने इसराइल में घुसकर कत्लेआम मचाया था, जिसके बाद से इसराइल ने पलटवार किया और गाजा पट्टी पर ताबड़ तोड़ बम बरसाना शुरू कर दिया। इजराइल और हमास के बीच जंग अभी भी जारी है।लेकिन इस बीच इजरायल ने एक ऐसा खुलासा किया है जिसने सनसनी मचा दी है इजराइल ने दावा किया हमास कि के आतंकी इजरायल पर हमले के वक्त अपने साथ केमिकल वेपंस लेकर भी आए थे।
रॉकेट और एयर स्ट्राइक से शुरू हुई इजराइल हमास जंग अब केमिकल हथियारों की तरफ बढ़ती नजर आ रही है। इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हेर्जोग ने दावा किया है कि हमास के जिन आतंकी ने 6 अक्टूबर को म्यूजिक फेस्टिवल पर हमला किया था ,उन्हें केमिकल वेपंस बनाने का निर्देश दिया गया था। इजरायली सेना के म्यूजिक फेस्टिवल में कत्लेआम मचाने वाले कुछ आतंकी मारे गए थे।उनकी लाशों को जब बारिकी से चेक किया गया तो आतंकियों के पास से केमिकल वेपोन बनाने का सामान बरामद हुआ।मिले सामान में साइनाइड भी शामिल है।
इसराइल राष्ट्रपति का यह दावा इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि इतिहास में जब भी आतंकियों के हाथ खतरनाक हथियार लगे हैं। उसका नतीजा बेहद बुरा ही रहा है। उनका दावा है कि केमिकल वेपंस बनाने का जो सामान हमास के आतंकियों से बरामद किया है, उसका कनेक्शन अलकायदा से है।उन्होंने इस दावे को सिद्ध करने के लिए कई कागज भी मीडिया को दिखाएं हैं।ऐसा नहीं है की पहली बार आतंकियों के हाथ केमिकल वेपंस लगे हैं।इससे पहले आईएसआईएस से लेकर अलकायदा तक कई बार केमिकल वेपन का इस्तेमाल कर चुके हैं।
केमिकल वेपंस कैसे करते हैं काम
वैसे तो सभी हथियारों में किसी न किसी केमिकल का इस्तेमाल होता है और बारूद भी एक तरह का केमिकल ही होता है।लेकिन जिन केमिकल हथियारों की बात की जा रही है, वह इससे अलग है। ऐसे केमिकल हथियार गैस या लिक्विड का एक भयानक मिश्रण होता है। इसमें बड़ी तादाद में तबाही मचाने की क्षमता होती है। यह हथियार मनुष्यों के अलावा जानवरों और पक्षियों को गंभीर रूप से बीमार कर देते हैं। इसका सबसे वीभत्स चेहरा यह है कि इसके इस्तेमाल के बाद लोगों की मौत तड़प तड़प कर होती है। कई मामले में लोगों के शरीर पर फफोले पड़ जाते हैं।यह फेफड़े को गंभीर क्षति पहुंचाती है,इंसान अंधा भी हो जाता है।
दर्दनाक मौत देते हैं यह हथियार
पहली बार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध में हुआ था, तब जंग में दोनों पक्षों को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए दम घुटने वाली क्लोरीन फॉसजिन, त्वचा पर जानलेवा जलन पैदा करने वाली मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया गया था। उस समय इन खतरनाक हथियारों की वजह से एक लाख से ज्यादा मौतें हुई थी।कोल्ड वॉर के समय इस तरह के वेपन का सबसे ज्यादा डेवलपमेंट और भंडारण देखा गया।संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक केमिकल वेपंस से 10 लाख से ज्यादा आधिकारिक मौतें हुई है।
इसराइल पर भी लगे हैं इसके इस्तेमाल का आरोप
इसराइल और समाज के बीच जारी जंग में इसराइल पर भी केमिकल का इस्तेमाल करने का आरोप लग चुका है। हाल ही में फिलीस्तीन ने आरोप लगाया था कि इजराइल ने उसके इलाके में सफेद फास्फोरस बम गिराया है। व्हाइट फास्फोरस बम सफेद फास्फोरस और रबड़ को मिलाकर तैयार होता है।फास्फोरस मोम जैसा केमिकल है जो हल्का पिला या रंगहीन होता।इससे सड़े हुए लहसुन जैसी तेज गंध आती है। इस रासायनिक पदार्थ की खूबियां है कि ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही इसमें आग पकड़ लेता है और फिर पानी से भी बुझाए नहीं बुझता है।
शरीर के इन अंगों को डैमेज करता है यह वेपन
फास्फोरस बम चूंकि 1300 डिग्री सेल्सियस तक जल सकती है।इसलिए यह आग से कहीं ज्यादा जलन और जख्म देता है। यहां तक की हड्डियों को भी गला सकता है। कुल मिलाकर इसके संपर्क में आने पर इंसान जिंदा बच भी जाए तो किसी काम का नहीं रह जाता है। वह लगातार गंभीर संक्रमण का शिकार होता रहता है और उसकी उम्र अपने आप कम हो जाती है। कई बार यह त्वचा से होते हुए खून में पहुंच जाता है। इससे हार्ट, लिवर ,किडनी सबको नुकसान पहुंचता है और मरीज में मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो सकता है। जिस जगह यह गिरता है उस जगह की ऑक्सीजन को यह तेजी से खत्म करता है, जिससे लोग अगर इसके जलने से बच भी जाए तो ऑक्सीजन के अभाव में उसकी मृत्यु हो जाती है।
रोकथाम के लिए बनी है संस्था
90 के दशक में केमिकल वेपंस को लेकर इतनी ज्यादा चर्चा होने लगी की, 1997 में इसके खिलाफ ऑर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबीशन आफ केमिकल वेपंस (OPCW) नामक एक संगठन खड़ा करना पड़ा जो संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करता है।दुनिया के 193 देश ऑर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन आफ केमिकल वेपंस के सदस्य हैं ।इसका हेड क्वार्टर नीदरलैंड के द हेग में है। यह नोबेल प्राइज जीतने वाला दुनिया का 22 वन संगठन है।