अखिलेश अखिल
क्या गजब है ! विपक्षी दलों ने गठबंधन का नाम इंडिया क्या रख दिया सत्ता पक्ष से लेकर संघ और अंधभक्तों में खलबली मच गई ! आखिर ऐसा हो क्या गया ? किसी नामो ,उपनामो से बड़ा हमार देश है। भारत महान है और इंडिया ग्रेट है। हमारी संस्कृति ,हमारी बोली भाषा और तीज त्यौहार ,रहन सहन ,खान पान ,आचार ,विचार। दोष -गुण जो भी हैं वही तो भारत है वही तो इंडिया है वही तो दुनिया का ताज भी है। इसी भारत में तो सब कुछ है। यही ताज है तो यही लालकिला है। यही धरती का स्वर्ग कश्मीर की घाटी है तो यही देश लोकतंत्र की जननी है। यही सब तो हमें महान बनाता है। यही सब हमें दूसरे अन्य देशों से भिन्न करता है।
लेकिन एक गठबंधन के नाम से देश के नाम बदलने की कहानी जो आगे बढ़ती दिख रही है वह विचित्र है और मौजूदा राजनीति के पाखंड का पराकाष्ठा भी। बहुत से अंधभक्तो को सरकार जो कर रही है उस पर गुमान हो रहा होगा लेकिन उन अंधभक्तों को यह नहीं लग रहा है कि आखिर यह सब क्यों ?सदाशिव महादेव के तो कितने ही नाम है। कोई उन्हें शिव कहता है ,कोई महादेव। कोई शंकर कहता है तो कोई रूद्र। कोई त्रिशूलधारी ,कोई सर्प धारी तो कोई चंद्रधारी कहता है। न जाने कितने असंख्य नामो से हम महादेव को जानते हैं। हर नामो के अनुरूप उन्हें पूजते हैं भी हैं। लेकिन आखिर वे महादेव ही तो। हैं काशी निवासी ही तो हैं। बाबा बैद्यनाथ ,सोमनाथ भीमनाथ ,केदारनाथ ,पशुपतिनाथ ,महाकाल हो तो हैं। पूजा चाहे जिस नाम से करो प्रकट तो महादेव ही होते हैं। जैसा नाम वैसा उनका रूप।
ऐसे ने इंडिया का नाम भारत भी कर दिया गया तो इसमें आपत्ति क्यों ? इंडिया भारत ही तो है और भारत ही तो इंडिया है। इसी देश का नाम आर्यावर्त भी रहा है। राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा तो सिंधु नदी -हिन्दू -इंडस से बढ़ते बढ़ते इंडिया हो गया। इसी देश में न जाने कितने कबीले आये ,मुगल आये। हुन आये ,और भी न जाने कौन -कौन से आये लेकिन भारत और इंडिया अक्षुण ही रहा। इस देश का पुश्तैनी नाम भारत से पहले भी तो कुछ था।
अंग्रेजों ने इसे इंडिया नाम दिया। संविधान इंडिया दैट इज भारत के नाम से बना। लेकिन अब बीजेपी को इस इंडिया से चिढ होने लगी है। बीजेपी को चाहिए कि अगर उसे विपक्षी एकता के नाम इंडिया से इतनी ही परेशानी है तो उसे सबसे पहले तमाम सरकार उन योजनाओं का नाम बदलने की जरूरत है जिसका नाम खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया है। इसके बाद इंडिया को भारत के नाम से ही जाना जाएगा इसकी तैयारी सरकार को करनी चाहिए। और अगर फिर बीजेपी की सत्ता चली गई तो यही इंडिया वाले फिर इस देश का नाम इंडिया रख दे तब क्या होगा। क्या बीजेपी देश में यह नाम बदलने का कबड्डी खेलने का होड़ लगाना चाहती है।
अब ज़रा मुद्दे की बात। राष्ट्रपति भवन में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज का निमंत्रण प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया (भारत के राष्ट्रपति) के नाम से भेजे जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया आई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर देश का नाम बदलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ नाम तो दुनिया जानती है, अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें (केंद्र सरकार) को देश का नाम बदलना पड़ा? इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी बीजेपी नीत केंद्र की मोदी सरकार पर देश का नाम बदलने का आरोप लगाया है।
ममता बनर्जी ने कहा, ”…आज उन्होंने (केंद्र सरकार) इंडिया का नाम बदल दिया. जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज के निमंत्रण कार्ड में ‘भारत’ लिखा हुआ है… अंग्रेजी में हम कहते हैं इंडिया और इंडिया कॉन्टिट्यूशन और हिंदी में हम कहते हैं भारत का संविधान. हम सब ‘भारत’ कहते हैं, इसमें नया क्या है? लेकिन भारत नाम तो दुनिया जानती है। अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें देश का नाम बदलना पड़ा?”
इसी मसले को लेकर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया सामने आई है। वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आर्टिकल-52 की फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया और लिखा कि संविधान में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ लिखा है तो यहां ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ होगा। इतना ही नहीं उन्होंने ट्वीट में सवाल करते हुए लिखा कि इससे अधिक स्पष्ट कुछ नहीं हो सकता- क्या ऐसा हो सकता है?
उधर जयराम रमेश ने कहा, “तो ये खबर वाकई सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया की बजाय प्रेजिडेंट ऑफ़ भारत के नाम पर निमंत्रण भेजा है।” साथ ही उन्होंने अनुच्छेद 1 का जिक्र करते हुए लिखा है कि ‘भारत, जो इंडिया है, राज्यों का एक समूह होगा’, लेकिन अब इस पर भी हमला हो रहा है।
वहीं बीजेपी ने भी अब कांग्रेस पर पलटवार किया है। बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूछा है कि कांग्रेस को इतनी आपत्ति क्यों है? जेपी नड्डा ने एक्स पर लिखा, “कांग्रेस को देश के सम्मान और गौरव से जुड़े हर विषय से इतनी आपत्ति क्यों है? भारत जोड़ो के नाम पर राजनीतिक यात्रा करने वालों को भारत माता की जय के उद्घोष से नफरत क्यों है? लेकिन नड्डा का तर्क कही टिक नहीं रहा। कहाँ भारत माता की जय और कहा नाम बदलने की कहानी ?


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