अखिलेश अखिल
हालांकि राजनीति के बारे में कुछ भी पुर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता लेकिन कुछ दलों की राजनीति और नेताओं के बारे में जब कुछ कहानी सामने आती है तब बहुत ही आश्चर्य होता है। झारखंड में कुछ महीने के भीतर ही विधान सभा चुनाव होने हैं। प्रदेश में सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी भी कर रही है। इसी तैयारी से पहले राज्य में कई राजनीतिक घटनाएं भी घटी। हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा और चम्पई सोरेन को सीएम की कुर्सी दी गई। समय बदला और हेमंत सोरेन लगभग पांच महीने बाद जेल से आये और फिर सीएम की कुर्सी पर विराज गए। इधर चम्पई सोरेन ने सीएम की गद्दी को छोड़ा।
लेकिन कहानी इतनी भर ही नहीं है। अब इस कहानी में ट्विस्ट आ गई है। चम्पई सोरेन के बारे में अब कई तरह की खबरे आ रही है। कहा जा रहा है कि जब से सीएम की कुर्सी पर से चम्पई उतरे हैं बीजेपी की निगाह उन पर जा टिकी है। चम्पई को अपने खेमे में लेन के लिए बीजेपी काफी प्रयास भी कर रही है। जाहिर ही ये सारे प्रयास आगामी चुनाव को लेकर ही किये जा रहे हैं ताकि बीजेपी की जीत हो सके। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है कि क्या चम्पई सोरेन बीजेपी के साथ जा रहे हैं ? क्या झामुमो में टूट होने वाली है ?
एक बात तो साफ़ है कि चम्पई सोरेन अकेले बीजेपी में नहीं जा सकते। उनके साथ कांग्रेस और झामुमो के काफी लोग पाला बदल सकते हैं। हालांकि झारखंड में जो भी होता दिख रहा है उस पर झामुमो और कांग्रेस की है लेकिन बीजेपी की कहानी को कोई नहीं जान सकता। जब से बीजेपी का प्रदेश प्रभार असम वाले हिमंत विश्व शर्मा और एमपी वाले शिवराज सिंह चौहान को मिला है झारखंड में राजनीति बदलने की सम्भावना बढ़ गई है। ऐसे में हो सकता है कि चम्पई सोरेन बीजेपी के फांस में आ गए हों। उन्हों कोई बड़ा सपना दिखाया गया हो।
कहानी का अंत चाहे जैसा भी हो सच यही है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन दिल्ली पहुंच गए हैं. दिल्ली में पत्रकारों ने जब उनसे सवाल पूछा, तो सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक ने कहा कि वह निजी काम से दिल्ली आए हैं। रविवार को चंपाई सोरेन कोलकाता के रास्ते दिल्ली पहुंचे। इससे पहले चंपाई सोरेन के सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ से उनका बायो बदल दिया गया।
चंपाई सोरेन ने अपने नाम के साथ सिर्फ झारखंड का पूर्व मुख्यमंत्री लिख लिया है। ‘एक्स’ पर अब उनके बायो में झारखंड मुक्ति मोर्चा का जिक्र नहीं है। तस्वीर में भी झामुमो का जिक्र नहीं है। उनके बैकग्राउंड पोस्टर पर सिर्फ झारखंड का पूर्व मुख्यमंत्री लिखा है।
सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगोड़ा स्थित चंपाई सोरेन के पैतृक आवास से भी झारखंड मुक्ति मोर्चा का झंडा हटा लिया गया है। इस गांव में सभी जगहों से झंडा को हटा लिया गया है। गांव में परिवार के लोग हैं, लेकिन कोई इस बारे में बात करने के लिए तैयार नहीं है। चंपाई सोरेन देर रात निजी कार से अपने पर्सनल ड्राइवर मुन्ना के साथ कोलकाता रवाना हुए।
चंपाई सोरेन के दिल्ली जाने की सूचना से झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया। तरह-तरह की चर्चा होने लगी। दिल्ली में पत्रकारों ने जब उनसे पूछा, तो चंपाई सोरेन ने कहा कि वह निजी काम से दिल्ली आए हैं।
उन्होंने कहा कि मेरी बच्ची यहां रहती है। दिल्ली आना-जाना लगा रहता है। मैं अभी जहां हूं, वहीं हूं। लेकिन सच वही नहीं है जो चंपई कह रहे हैं। सच आगे की है। झामुमो टूट भी सकती है और ऐसा हुआ तो झामुमो के साथ ही कांग्रेस को भी बड़ा धक्का लग सकता है। हेमंत सोरेन की ज्यादा परेशानी बढ़ सकती है।