भारतीय सिनेमा संगीत जगत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर एसडी बर्मन का असली नाम सचिन देव बर्मन था।बहुमुखी प्रतिभाओं के धनी एसडी बर्मन की सबसे खास बात यह थी कि वह किसी भी परिस्थिति के मुताबिक म्यूजिक बना देते थे।उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वह राजा-महाराजा के घर से ताल्लुक रखते थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें लेकर इंडस्ट्री में एक बात काफी चर्चा में रहती थी कि एसडी बर्मन काफी कंजूस हैं।आइए बताते हैं कि उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता था।
म्यूजिक डायरेक्टर सचिव देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 में त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था। उनके पिता एमआरएन देव बर्मन एक जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद थे। गौरतलब है कि एसडी बर्मन के पिता त्रिपुरा के महाराज के बेटे थे। वहीं, उनकी मां निर्मला देवी मणिपुर की राजकुमारी थीं। लेकिन इसके बावजूद एस डी बर्मन बहुत ही सरल जीवन जीते थे।संगीतकार एस डी बर्मन अपनी पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी करने के बाद साल 1932 में कोलकाता के रेडियो स्टेशन में गायक के रूप में जुड़े थे।
एसडी बर्मन ने बतौर सितार वादन संगीत की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद शुरुआती दिनों में उन्होंने कई बांग्ला और हिंदी फिल्मों के लिए गाने भी गाए।लेकिन फिर साल 1944 में वह मुंबई आ गए थे। यहां आने के दो साल बाद 1946 में एसडी बर्मन को फिल्म शिकारी और आठ दिन में संगीत देने का ऑफर मिला। इसके बाद संगीतकार एसडी बर्मन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एसडी बर्मन ने अपनी मेहनत और काबिलियत से सफलता की बुलंदियों को हासिल किया था, लेकिन उनके बार में एक बात मशहूर थी कि संगीतकार एसडी बर्मन बहुत कंजूस थे। इससे जुड़ा उन दिनों एक किस्सा काफी चर्चा में रहता था कि संगीतकार जब भी मंदिर जाते थे तब उन्हें हर वक्त अपनी एक जोड़ी चप्पल खोने का डर सताता था। इसके लिए उन्होंने एक उपाय निकला था।वह जब भी मंदिर जाते थे तब अपनी दोनों चप्पलों को एक साथ नहीं उतारते थे। जब उनसे इसके बारे में सवाल किया गया तब उन्होंने बताया कि आजकल शहर में चप्पल चोरी की वारदात बढ़ गई है। इसपर उनके दोस्त ने पूछा कि अगर चोर दोनों चप्पल खोज ले तो? तब एसडी बर्मन ने कहा कि, अगर चोर इतनी चप्पलों में से दोनों चप्पल खोज निकालता है, तो सच में वह इसका हकदार है।
संगीतकार एसडी बर्मन संगीत कंपोजिशन के परफेक्शन को लेकर काफी सजग रहा करते थे और इस पर किसी से समझौता नहीं करते थे। यहां तक की जब एक बार उनके बेटे आरडी बर्मन ने स्वतंत्र रूप से काम करते हुए फिल्म हरे कृष्णा, हरे राम का गाना दम मारो दम कंपोज किया तो वह अपने बेटे पर भी यह कहते हुए भड़क गए थे कि उस गाने में जो परफेक्शन होना चाहिए था वह नहीं था।यह बात दिगर है कि एसडी बर्मन के दृष्टिकोण में परफेक्ट नहीं होने के बावजूद लोगों ने इस गाने को बहुत पसंद किया था।
बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का नाम सचिन देव बर्मन के नाम से प्रभावित होकर रखा गया था। दरअसल सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर ,सचिन देव बर्मन के बड़े फैन थे। साथ ही वे उनकी प्रसिद्धि और संगीत पर पकड़ के भी वे बड़े कायल थे।इसे देखते हुए सचिन तेंदुलकर के पिता ने अपने बेटे का नाम सचिन रखा था।