बीरेंद्र कुमार
तेजी से हो रही डिजिटिलाइजेशन से लोगों को एक तरफ जहां तेजी से तरह-तरह की सुविधाएं मिल रही है तो वहीं इसमें हैकिंग या अन्य वजहों से से होने वाली गड़बड़ी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब भी बन रहा है। ऐसी ही किसी गड़बड़ी की वजह से कल अमेरिका में दिन भर हवाई जहाज के उड़ने और लैंड करने को लेकर वहां अफरा तफरी का माहौल बना रहा, तो भारत में भी ऐसी ही किसी गड़बड़ी की वजह से देश भर के डेढ़ लाख से भी ज्यादा डाकघरों में 09 जनवरी 2023 से न तो लोग बचत खातों से अपने पैसे निकाल पा रहे हैं और न ही अपने पैसे जमा कर पा रहे हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मनी ऑर्डर से बाहर पैसा भेजना,और डाकघरों में बचत खाता खोलने जैसा काम भी पिछले तीन दिनों से बंद है।
पेंशनभोगियों को खाने से लेकर दवाइयों की खरीददारी तक में हो रही परेशानी
पैसे जमा न हो तो लोग इसे कुछ दिनों तक अपने घरों में रख लेंगे,बचत खाते तुरत न खुले तो लोग इंतजार कर लेंगे। लेकिन जमा पैसे की निकासी लगातार न होने लगे तो समझा जा सकता है की लोगों की परेशानी किस हद तक बढ़ जाएगी। खासकर पेंशनभोगी वृद्धजन जिनका खाना और दवाई से लेकर लेकर हर चीज उनके पेंशन पर ही निर्भर रहता है और उनका पेंशन नहीं निकल पा रहा हो तो वे कितना परेशान हो रहे होंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। यह स्थिति किसी एक जगह की नहीं,बल्कि पूरे देश की है। आज चौथे दिन भी यह सुधरा नहीं है, इसे सुधारने का काम अभी चल ही रहा है।
इस बीच डिजिटल फेल्योर से परेशान लोगों की बैचेनी बढ़ती जा रही है। इनमें से कई लोगों ने फोन पर मुझसे भी से संपर्क किया। लोगों की शिकायत की जांच करने के लिए मैंने दुमका डाकघर में जाकर स्थिति का जायजा लिया तो लोगों की शिकायत सही मिली। यहां 9जनवरी से ही लोग आ-आकर निराश लौट जा रहे हैं। इन परेशान लोगों को किसी प्रकार से राहत मिले इसे लेकर मैने संथाल परगना प्रक्षेत्र के प्रवर डाक अधीक्षक से लोगों की परेशानी को दूर करने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया की यह समस्या पूरे देश के डाकघरों की है। इसे दूर करने के लिए लिए उच्च स्तर पर काम चल रहा है,उम्मीद है कि जल्दी ही इसे दूर कर लिया जाएगा।लेकिन जबतक यह गड़बड़ी ठीक नहीं हो जाती है,तबतक मानवीय तरीके से लोगों को राहत देने की बात करने पर उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिए।
सस्पेंस अकाउंट के जरिए लोगों को दी जा सकती थी जमा और निकासी की सुविधा
बेसक कोई भी तकनीक पूरी नहीं होती है,खासकर डिजिटल तकनीक में तो हैकिंग जैसी कई समस्याएं आते ही रहती है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि डिजिटल व्यवस्था के साथ ही मैनुअल व्यवस्था भी तात्कालिक समाधान के लिए तैयार रहे,ताकि लोगों को लगातार कई कई दिनों तक परेशानी न उठना पड़े। वैसे अकाउंटिंग की बात की जाय तो इस परिस्थिति में सस्पेंस अकाउंट मैन्युली खोलकर लोगो को तत्काल राहत दी जा सकती थी। बाद में सस्पेंस अकाउंट को डिजिटली ओपन और क्लोजर किया जा सकता था। लेकिन या तो डाक विभाग के अधिकारी और कर्मचारी को इसकी जानकारी नहीं थी या फिर से परेशानी से बचने के लिए ऐसा कुछ कर नहीं रहे थे।