न्यूज़ डेस्क
भारत का चंद्रयान आखिर सफल हो ही गया। वह चन्द्रमा पर उतर गया। दक्षिण पोल पर लैंड करने वाला दुनिया का इकलौता देश भारत बन गया है। अब इंतजार खत्म हो चुका है। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर के साथ 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतर चुका है। इस ऐतिहासिक दिन का सभी को इंतजार था। हर धर्म हर मजहब के लोग इस मिशन की सफल होने की दुआ कर रहे थे। आज सवेरे से सोशल मिडिया पर हजारों ऐसी तस्वीर तैर रही थी जिसमें लोग इस मिशन को सफल होने के लिए मंदिरों में हवन कर रहे थे। सब लोगों की दुआ कबूल हो गई है, और हमारा प्यारा तिरंगा चांद पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है।
इस मिशन की बजट की बात करें तो जितने में यह मिशन पूरा हुआ है उससे ज्यादा पैसा तो बॉलीवुड की एक फिल्म को बनाने में लग जाता है। चंद्रयान-3 के लिए चंद्रयान-2 से भी कम पैसा खर्च किया गया है। चंद्रयान-3 के मिशन का वित्तीय बजट 615 करोड़ रुपये यानी करीब 75 मिलियन डॉलर है। इसरो के पूर्व चीफ के सिवन के मुताबिक, इस मिशन का बजट लगभग 250 करोड़ है। लेकिन इसमें लॉन्च व्हीकल की लागत शामिल नहीं है। इसकी लगत 365 करोड़ थी, ऐसे में पूरे मिशन की लागत 615 करोड़ के आसपास आ जाता है।
अब तक भारत ने किसी दूसरे ग्रह या उसके उपग्रह पर कोई रोवर लैंड नहीं करवाया है। चंद्रयान 3 हमारे इसी सपने को पूरा करेगा। ये मिशन ISRO के आने वाले कई दूसरे बड़े मिशन के लिए रास्तों को खोलेगा। इससे विश्व पटल पर भारत का साख अंतरिक्ष के मामले में और बढ़ेगा। भारत के भविष्य के लिए यह मिशन काफी महत्वपूर्ण है। बता दें कि अब तक अमरीका, रूस और चीन को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग में सफलता मिली है।
सॉफ्ट लैन्डिंग का अर्थ होता है कि किसी भी सैटलाइट को किसी लैंडर से सुरक्षित सही स्थान पर उतारें और वो अपना काम सही रूप से करने लगे। चंद्रयान-2 को भी इसी तरह चन्द्रमा की सतह पर उतारना था, लेकिन आख़िरी क्षणों में यह संभव नहीं हो पाया। दुनिया भर के 50 प्रतिशत से भी कम मिशन हैं, जो सॉफ्ट लैंडिंग होने में कामयाब रहे हैं।
इस लैंडर के तीन बड़े काम हैं -चंद्रयान-3 के लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना।रोवर को चांद की सतह पर चला कर दिखाना। और लैंडर और रोवर की मदद से साइंटिफिक जांच-पड़ताल करना।
चंद्रमा पर जाकर ये चार काम करेगा चंद्रयान। मून पर पड़ने वाली रोशनी और रेडिएशन का अध्ययन करेगा।मून की थर्मल कंडक्टिविटी और तापमान की स्टडी करेगा। लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की स्टडी करेगा।प्लाज्मा के घनत्व और उसमें हुए बदलावों को स्टडी करेगा।
इस बार चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए नए डिवाइस बनाए गए हैं। इस मिशन में एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जरुरत के हिसाब से कई बदलाव किये गए हैं। चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग साइट को ‘डार्क साइड ऑफ मून’ कहा जाता है क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने कभी नहीं आता।