बीरेंद्र कुमार झा
बीजेपी ने मध्य प्रदेश में टिकट बटवारा शुरू कर दिया है। अब तक उसने यहां दो लिस्ट जारी कर दी है। सोमवार रात को पार्टी ने दूसरी सूची जारी की जिसमें सबको चौंकाते हुए नरेंद्र सिंह तोमर सहित तीन केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतार दिया। यही नहीं इसने छत्तीसगढ़ में भी टिकट बांटना शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक किस राज्य में कौन प्रचार लीड करेगा और कौन होगा मुख्यमंत्री का चेहरा यह तय नहीं किया है। राजस्थान में भी कमोबेश यही स्थिति है।बीजेपी लगातार सामूहिक नेतृत्व की ही बात कर रही है। मध्य प्रदेश में शिवराज अपने लिए कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, तो राजस्थान में वसुंधरा और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह भी भरोसे में नहीं है कि क्या होगा।राजस्थान में तो खुद बीजेपी ही सामूहिक लीडरशिप की बात कर चुकी है।
5 राज्यों में होने वाले चुनाव में बीजेपी बिना सीएम चेहरा के ही लड़ेगी चुनाव
इस बीच बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी पांच राज्यों के चुनाव में कहीं भी सीएम फेस घोषित करके मैदान में नहीं उतरेगी।तीन हिंदी प्रदेशों के अलावा मिजोरम और तेलंगाना के लिए भी यही रणनीति होगी। सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह यह है कि भाजपा किसी पुराने नेता की एंटीइंकमबेंसी नहीं चाहती है। इसके अलावा इन नेताओं की अपनी लोकप्रियता भी है। ऐसे में उन्हें साइडलाइन करने से नुकसान होगा,पार्टी यह भी समझती है। इसलिए पार्टी सामूहिक नेतृत्व की बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को आगे कर चुनाव लड़ रही है। इसके साथ ही शिवराज और वसुंधरा जैसे नेता भी साथ है ताकि स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता को भी भुनाया जा सके।
किसी एक चेहरे पर भरोसा नहीं,लेकिन शिवराज का कद जस का तस
भाजपा राज्य में किसी एक चेहरे के भरोसे उतरने का रिस्क नहीं ले रही है। मध्य प्रदेश में तो कयास तेज हो गए हैं क्योंकि अब तक जारी लिस्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम शामिल नहीं है।चर्चा होने लगा है कि एंटीइनकंबेंसी से बचने के लिए 64 वर्षीय चौहान को हटाया भी जा सकता है।हालांकि पार्टी के सूत्र ऐसी बातों को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं।उनका कहना है कि भले ही बड़े नेताओं को पार्टी ने उतार कर चुनाव में माहौल बनाया है,लेकिन शिवराज का कद जस का तस ही रहेगा। पार्टी अभी यह कहकर चर्चा को आगे बढ़ा देती है कि मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव के बाद ही होगा।
राजस्थान और एमपी में लंबे समय बाद बिना चेहरे के उतरने का प्लान
राजस्थान और मध्य प्रदेश में लंबे समय बाद ऐसा होगा जब बीजेपी बिना मुख्यमंत्री चेहरा के ही मैदान में उतरेगी। मध्य प्रदेश की तरह ही राजस्थान में भी वसुंधरा को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी वसुंधरा को किनारे करने की बजाय विकल्प खुले रखना चाहती है। गौरतलब है कि वसुंधरा की संभावनाएं खत्म नहीं है ,लेकिन दबाव जरूर रहेगा। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल को उनके प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी पार्टी रमन सिंह और अरुण साहू के बीच विकल्प रखकर चल रही है, लेकिन पार्टी का पहले कुछ भी तय करने का प्लान नहीं है। पार्टी का कहना है कि उसने 2017 में यूपी में भी ऐसा किया था और वहां इसे इसका लाभ मिला था।