बीरेंद्र कुमार झा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)और 26 विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के बाहर रह गए दलों में आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी की भूमिका लोकसभा विधानसभा दोनों चुनाव में अहम हैं, लेकिन वह लाख कोशिशें के बावजूद एनडीए में अभी तक जगह नहीं पा सकी है। गौरतलब है कि करीब ढाई दसक पहले जब एनडीए बना था तो उसमें तेलुगू देशम पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वायएसआर कांग्रेस है बड़ी बाधा
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चंद्रबाबू नायडू की एनडीए में इंट्री नहीं हो पाने की असल वजह आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस है ,जिसके केंद्र की बीजेपी की सरकार के साथ अच्छे रिश्ते हैं।पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हालांकि वाईएसआर कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था और टीडीपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था, लेकिन इसके बावजूद उसने करीब 39% मत हासिल किए थे। इसलिए जमीन पर पार्टी अभी भी ज्यादा कमजोर नहीं हुई है। इन चुनाव में उसके सामने अपने प्रदर्शन को सुधारने का अवसर है।
दरअसल राज्यसभा बीजेपी जब कभी संकट में होती है तो वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी से उसे सहारा मिलता है। हाल में दिल्ली सेवा अध्यादेश से जुड़े विधेयक के मामले में भी वाय एसएसआर कांग्रेस की मदद कारगर साबित हुई थी उसके राज्यसभा में 9 सदस्य और लोकसभा में बीजेपी को हालांकि किसी भी मदद की जरूरत नहीं है ,लेकिन वाईएसआर कांग्रेस की वहां भी 22 सीटों के साथ मजबूत उपस्थिति है।
सूत्रों की माने तो वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी नहीं चाहते हैं कि चंद्रबाबू नायडू एनडीए का हिस्सा बने। डर यह है कि बीजेपी की मदद से चंद्रबाबू नायडू राज्य में अपनी स्थिति को सुधार सकते हैं।आंध्र प्रदेश में हालांकि बीजेपी का वोट प्रतिशत एक दो प्रतिशत के करीबी है, लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश है और कुछ सीटों पर इस वोट प्रतिशत से भी टीडीपी को फायदा हो सकता है। बीजेपी ने 2014 में राज्य में लोकसभा की दो सीटें जीत भी जीती थी। दूसरे यदि नायडू एनडीए का हिस्सा बनते हैं तो वाईएसआर कांग्रेस के लिए एनडीए को परोक्ष समर्थन करने से राजनीतिक मुश्किल पैदा हो सकती है।
आंध्र प्रदेश में बीजेपी की स्थिति मजबूत नहीं
सूत्रों के अनुसार टीडीपी से चुनावी गठबंधन बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है। बीजेपी को वहां अपने को मजबूत करने का मौका मिल सकता है। आंध्र प्रदेश में प्रदर्शन को लेकर बीजेपी की खासी आलोचना भी होती रही है कि जितने वोट वहां नोटा को मिलते हैं , उससे भी कम सीट बीजेपी को मिल पाते हैं ।लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा समय में बीजेपी जगन मोहन रेड्डी को नाराज नहीं करना चाहती है।पार्टी को लगता है कि अगले चुनाव में भी जगनमोहन रेड्डी मजबूती से आएंगे और जरूरत पड़ने पर वह संसद में बीजेपी के साथ आएंगे।
चंद्रबाबू नायडू हैं आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य जा दर्जा दिलाने का पक्षधर
सूत्रों से प्राप्त जनकारीबके अनुसार चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के भी पक्षधर रहे हैं। लेकिन इस दिशा में कुछ भी होने के आसार नहीं है। ऐसे में उनके समक्ष यह भी एक यक्ष प्रश्न है कि, क्या एनडीए में शामिल होकर वे आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग को छोड़ देंगे।?
पूर्व में वायएसआर कांग्रेस के भी एनडीए में शामिल होने की चर्चा चली थी, लेकिन वह सही नहीं निकली। इसलिए आगे भी इस दिशा में कोई उम्मीद नहीं है।