बीरेंद्र कुमार झा
बिहार में बयानों से यहां की राजनीति और समाज की दशा भले ही ना बदले पर दिशा जरूर बदल जाती है। बयान भी ऐसे- ऐसे जिसे सुनकर किसी का मन- मिजाज बदलना स्वाभाविक है। प्रोफेसर चंद्रशेखर का रामायण विवाद के बाद आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा की ठाकुर की कुएं पर संग्राम अभी छिड़ा हुआ ही था कि आरजेडी के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने महिलाओं पर अजीबोगरीब बयान देकर माहौल को फिर से गरमा दिया है।महिलाओं को 33% आरक्षण का लाभ देने वाला महिला आरक्षण विधेयक जब नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से संसद से पास हो जाता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाता है तो अब पिछड़े और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को इसमें आरक्षण दिए जाने की बात कहकर आरजेडी ने जगह – जगह न सिर्फ आवाज बुलंद कर इस वर्ग विशेष का वोट जुगाड़ करना प्रारंभ कर दिया है, बल्कि अब्दुल बारी सिद्दीकी ने ऐसा बयान दे दिया जिससे बिहार की राजनीति में सनसनी फैल गई। बिहार में बयानों का सियासी नफा नुकसान हम पहले भी देख चुके हैं। अब सवाल यह है कि क्या आरजेडी बिहार को ‘बवाल वाला’ बिहार बनाना चाहता है?
जाति विशेष के वोट की प्रत्याशा में आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कर दी पूरी महिलाओं का अपमान
महिला आरक्षण में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने शुरू की थी।तब समाजवादी नेता शरद यादव ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि क्या आप परकटी महिलाओं को सदन में लेकर आना चाहते हैं? नरेंद्र मोदी की सरकार ने 27 साल बाद जब महिला आरक्षण बिल को संसद के दोनों सदनों से पास कर लिया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया तो आरजेडी से संबंध रखने वाले बिहार के एक सीनियर लीडर अब्दुल बारी सिद्दीकी ने भी शरद यादव के अंदाज में ही बयान दे दिया है। सिद्दीकी ने कहा कि महिला आरक्षण के नाम पर ‘ बॉब कट और क्रीम लिपस्टिक वाली’ महिलाएं आपके घर की महिलाओं का हक मार लेंगी ।वोट की चाहत में पिछड़े और ओबीसी महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण की मांग करते – करते अब्दुल बारी सिद्दीकी ने पूरी महिलाओं का ही अपमान कर दिया।
ऐसे बयान का 215 में दिखा था असर
बिहार में ऐसे जातिवादी बयानों का चुनाव पर बड़ा असर पड़ता है। 2015 ईस्वी में जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान अपने संघ की बैठक में यह कहा था कि समय-समय पर आरक्षण की समीक्षा होते रहनी चाहिए, तब आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने इसे यह कर कर प्रचारित किया था कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है।वह पिछड़ी जातियों और वंचितों का हित देखना नहीं चाहती है। दरअसल लालू यादव ने मोहन भागवत के बयान को बीजेपी से जोड़ते हुए लोगों को इसे बीजेपी का छिपा एजेंडा बता दिया।इसका फल यह हुआ कि 2915 के विधान सभा चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को इसका बड़ा लाभ मिला और एनडीए को वहां महा गठबंधन के हाथों मात खानी पड़ी थी।
ऐसे में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में अभी से ही ऐसे बयानों की बाढ़ आनी शुरू हो गई है।अभी यहां के बयानवीर नेताओं के ऐसे ऐसे बयान आगे और क्या गुल खिलाएंगे यह देखना अभी बाकी है।